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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 4, Issue 11, Part D (2018)

डा. महाश्वेता चतुर्वेदी के गीतों में लोकमंगल का स्वर

डा. महाश्वेता चतुर्वेदी के गीतों में लोकमंगल का स्वर

Author(s)
डॉ. सविता उपाध्याय
Abstract
कवि और लेखक अपने समय का प्रतिनिधि होता है। वह समाज का उन्नायक और विधायक भी होता है। डा. महाश्वेता चतुर्वेदी समकालीन काव्य के क्षेत्र में एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने अपने काव्य का प्रणयन सामाजिक चेतना जाग्रत करने हेतु किया है। उन्होंने अनेक कृतियों का प्रणयन किया है, जिनमें उनके प्रमुख गीत संग्रह-मेरे गीत तुम्हारे मीत, ज्योति-कलश, रत्नांबरा, स्वर्णांबरा, पहिले घर में दीप जले तथा वंदे मातरम् सुप्रसिद्ध हैं।
Pages: 267-270  |  238 Views  55 Downloads
How to cite this article:
डॉ. सविता उपाध्याय. डा. महाश्वेता चतुर्वेदी के गीतों में लोकमंगल का स्वर. Int J Appl Res 2018;4(11):267-270.
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