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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 4, Issue 2, Part A (2018)

मिथिला में मातृत्व एवं शाक्त धर्म एक अध्ययन

मिथिला में मातृत्व एवं शाक्त धर्म एक अध्ययन

Author(s)
प्रीति प्रिया
Abstract
शक्ति अथवा मातृतत्त्व की उपासना ही शाक्त धर्म है। जो इस सृष्टि की उत्पत्ति अथवा अभिव्यक्ति का मूलभूत कारण है। शक्ति सामान्य रूप से ‘‘मातृदेवी’’ का अभिव्यंजक है और किसी देवता विशेष की ऊर्जा का द्योतक रहा है। विभिन्न कालों में ‘‘शक्ति’’ शिव की अद्र्धाङ्गिनी के रूप में पूजित होती रही है, जिनमें ‘‘देवी दुर्गा’’ काली प्रमुख रूप से ज्ञात रही है। शाक्त साधक इसी शक्ति के सानिध्य और कृपा द्वारा अलौकिक सुख एवं आनन्द की प्राप्ति करता है तथा अपनी सांसारिक कठिनाईयें एवं शत्रुओं का संहार एवं विनाश करता रहा है। कुछ लोगों ने शाक्त धर्म को शैव धर्म का ही एक अंग माना है। लेकिन यह एक स्वतंत्र सम्प्रदाय एवं मत के रूप में रहा है, जिसमें मातृत्व की प्रधानता रही है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण में शाक्त धर्म, आर्य एवं अनार्य संस्कृति तथा उनकी मान्यताओं के मिश्रणोपरान्त प्रतिफलित हुआ है।
Pages: 46-47  |  752 Views  130 Downloads


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How to cite this article:
प्रीति प्रिया. मिथिला में मातृत्व एवं शाक्त धर्म एक अध्ययन. Int J Appl Res 2018;4(2):46-47.
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