Vol. 4, Issue 2, Part A (2018)
मिथिला में मातृतà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
मिथिला में मातृतà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
Abstract
शकà¥à¤¤à¤¿ अथवा मातृततà¥à¤¤à¥à¤µ की उपासना ही शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® है। जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ अथवा अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का मूलà¤à¥‚त कारण है। शकà¥à¤¤à¤¿ सामानà¥à¤¯ रूप से ‘‘मातृदेवी’’ का अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤‚जक है और किसी देवता विशेष की ऊरà¥à¤œà¤¾ का दà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤• रहा है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कालों में ‘‘शकà¥à¤¤à¤¿’’ शिव की अदà¥à¤°à¥à¤§à¤¾à¤™à¥à¤—िनी के रूप में पूजित होती रही है, जिनमें ‘‘देवी दà¥à¤°à¥à¤—ा’’ काली पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ रही है। शाकà¥à¤¤ साधक इसी शकà¥à¤¤à¤¿ के सानिधà¥à¤¯ और कृपा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अलौकिक सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करता है तथा अपनी सांसारिक कठिनाईयें à¤à¤µà¤‚ शतà¥à¤°à¥à¤“ं का संहार à¤à¤µà¤‚ विनाश करता रहा है। कà¥à¤› लोगों ने शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® को शैव धरà¥à¤® का ही à¤à¤• अंग माना है। लेकिन यह à¤à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¤µà¤‚ मत के रूप में रहा है, जिसमें मातृतà¥à¤µ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ रही है। à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ में शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤®, आरà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अनारà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा उनकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के मिशà¥à¤°à¤£à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤† है।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾. मिथिला में मातृतà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2018;4(2):46-47.