Vol. 4, Issue 3, Part D (2018)
विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ कावà¥à¤¯ में सामाजिक चेतना
विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ कावà¥à¤¯ में सामाजिक चेतना
Author(s)
दà¥à¤°à¥à¤—ाननà¥à¤¦ यादव
Abstract
विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ मैथिल कवि थे और मिथिला के रहने वाले थे। मैथिली मागधी पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ से निकली होने के कारण हिनà¥à¤¦à¥€ का अंग न होकर बिहारी à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त आती है। विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ अपनी कोमल कानà¥à¤¤ पदावली के कारण ‘‘मैथिल कोकिल’’ के नाम से पà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‡ जाते हैं, और मिथिला निवासियों को इन पर गरà¥à¤µ है।
How to cite this article:
दà¥à¤°à¥à¤—ाननà¥à¤¦ यादव. विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ कावà¥à¤¯ में सामाजिक चेतना. Int J Appl Res 2018;4(3):271-272.