Vol. 4, Issue 7, Part F (2018)
कालिदास के काव्यों में प्रेम का स्वरूप
कालिदास के काव्यों में प्रेम का स्वरूप
Author(s)
प्रशांत कुमार
Abstract
कला में सौन्दर्याधान करने के लिए सफल चित्रकार की तरह कवि प्रकृति को पृष्ठ-भूमि बनाता है, इसी लिए कालिदास भी प्रकृति के पक्के पुजारी बनकर अन्तर्जगत् के सौन्दर्य को बहिर्जगत् में भी देखते हुए दोनों में समन्वय नहीं, प्रत्युत् तादात्म्य भी स्थापित करना चाहते हैं। इनकी प्रकृति जड़प्रकृति नहीं। इनकी दृष्टि में प्रकृति का प्रत्येक अंश-चाहे वे छोटे-उड़े पहार हो या पुष्प-पत्र, सभी छोटा पुष्प-अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व रखे हुए हैं। चेतना की तरह ही उनमें भी सुख-दुख का संवेदन और आशा-निराशा एवं भय-हर्ष की अनुभूति है।
How to cite this article:
प्रशांत कुमार. कालिदास के काव्यों में प्रेम का स्वरूप. Int J Appl Res 2018;4(7):417-420.