Vol. 4, Issue 7, Part F (2018)
कालिदास के कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¥‡à¤® का सà¥à¤µà¤°à¥‚प
कालिदास के कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¥‡à¤® का सà¥à¤µà¤°à¥‚प
Author(s)
पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त कà¥à¤®à¤¾à¤°
Abstract
कला में सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ करने के लिठसफल चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की तरह कवि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को पृषà¥à¤ -à¤à¥‚मि बनाता है, इसी लिठकालिदास à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पकà¥à¤•à¥‡ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ बनकर अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤œà¤—तॠके सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ को बहिरà¥à¤œà¤—तॠमें à¤à¥€ देखते हà¥à¤ दोनों में समनà¥à¤µà¤¯ नहीं, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¥ तादातà¥à¤®à¥à¤¯ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहते हैं। इनकी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जड़पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नहीं। इनकी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• अंश-चाहे वे छोटे-उड़े पहार हो या पà¥à¤·à¥à¤ª-पतà¥à¤°, सà¤à¥€ छोटा पà¥à¤·à¥à¤ª-अपना सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ रखे हà¥à¤ हैं। चेतना की तरह ही उनमें à¤à¥€ सà¥à¤–-दà¥à¤– का संवेदन और आशा-निराशा à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¯-हरà¥à¤· की अनà¥à¤à¥‚ति है।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त कà¥à¤®à¤¾à¤°. कालिदास के कावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¥‡à¤® का सà¥à¤µà¤°à¥‚प. Int J Appl Res 2018;4(7):417-420.