Vol. 4, Issue 9, Part D (2018)
सामाजिक आ यथार्थवादी साहित्यकार बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’
सामाजिक आ यथार्थवादी साहित्यकार बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’
Author(s)
प्रदीप कुमार
Abstract
सामाजिक आ यथार्थवादी कवि बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ जतबा भावुक हीइछ, चिन्तक ताहिसँ बेसी होइछ। ओकर भावुकता दीन-दलितक प्रति रहैछ, किन्तु ओकर दुर्दशा देखि सभसँ पहिने ओकरा मनमे समाजक ओहि वर्गक प्रति आक्रोशक भाव उदित होइछ, जे ओकर एहि दुरवस्थाक हेतु जिम्मेदार छैक। पुनः दलितक उद्धारक चिन्ता आ चिन्तक करऽ लगैछ, महन्थक आसनकें पकड़िकऽ झमारऽ लगैछ। हिनक उपन्यासमे सामाजिक विषमता, ओकर रूढ़िग्रस्तता एवं ओकरा प्रति जनसाधारणक आक्रोशक चित्रणक समस्याकें लऽकऽ पारो एवं नवतुरिया लिखल गेल। पारोमे समाधान नहि ताकल गेल अछि, परन्तु नवतुरियामे समस्या कें समाधान दुनूक सन्निवेश अछि। वस्तुतः नवतुरियामे मिथिलामे व्याप्त अनमेल विवाह, वृद्ध-विवाह एवं नारी-जातिक शोषितरूपक चित्र अंकित कऽ ओकर समाधानक चेष्टा अछि। संग-संग एहिमे मिथिलाक जीवनक चित्र अतयन्त स्वाभाविक एवं आकर्षक रूपमे अंकित भेल अछि।
How to cite this article:
प्रदीप कुमार. सामाजिक आ यथार्थवादी साहित्यकार बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’. Int J Appl Res 2018;4(9):272-274.