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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)

भारतीय स्थानीय स्वशासन तथा पंचायती राज व्यवस्थाः एक ऐतिहासिक विवेचन

भारतीय स्थानीय स्वशासन तथा पंचायती राज व्यवस्थाः एक ऐतिहासिक विवेचन

Author(s)
Dr. Dhananjay Kumar Choudhary
Abstract
भारतवर्ष में प्राचीनकाल से ही स्थानीय संस्थाए चली आ रही हैं। प्राचीनकाल में पंचायतें स्थानीय स्वशासन के रूप में कार्यरत थी। वर्तमान समय में पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का अभिन्न अंग बन चुकी हैं। शाब्दिक दृष्टि से पंचायती राज शब्द हिन्दी भाषा के दो शब्दों पंचायत और राज से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है पांच जनप्रतिनिधियों के समूह का शासन जिसका तात्पर्य पंच से होता है जबकि आयत का अर्थ है विस्तार, राज से अभिप्राय है शासन का व्यवस्थित रूप से संचालन। इस प्रकार यह प्राचीनतन्त्र व्यापक रूप से गांवों की स्थानीय व्यवस्था तथा विकास के लिये अस्तित्व में आया। पंचायत व्यवस्था का उद्भव कब हुआ यह कहना काफी कठिन है। यह अनुमान अवश्य किया जा सकता है कि जब मानव समाज का उदय हुआ लगभग उसी समय से पंचायती राज व्यवस्था का भी उद्भव हुआ होगा। भारत की पौराणिक कथाऐं पंचायतों से सम्बन्धित कहानियों से जुड़ी हैं। कालान्तर में पंचायत की इस अवधारणा में परिवर्तन होता गया और वर्तमान में पंचायत की अवधारणा का अभिप्राय निर्वाचित सभा से है।
Pages: 461-463  |  545 Views  60 Downloads
How to cite this article:
Dr. Dhananjay Kumar Choudhary. भारतीय स्थानीय स्वशासन तथा पंचायती राज व्यवस्थाः एक ऐतिहासिक विवेचन. Int J Appl Res 2019;5(1):461-463.
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