International Journal of Applied Research
Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)
साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष में पूँजीपति वर्ग की आशंका
Author(s)
अखिलेन्द्र कुमार रंजन
Abstract
साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के लिए कौन-सा रास्ता अपनाया जाए, इस सवाल पर पूँजीपतियों की राय अलग-अलग थी। इसके पहले व्यापारी समूह संविधानवाद के और दबाव समूह की राजनीति के पक्ष में थे और यही कारण है कि 1920-21 के असहयोग आंदोलन से उन्होंने दूरी बनाए रखी थी। लेकिन कांग्रेस जब संविधानवाद की आरे पलटी, तो भारतीय उद्योगांे के प्रतिनिधि भी स्वराज्यवादियों के और निकट आए और विधायिका में विभिन्न राष्ट्रीय आर्थिक प्रश्नों पर उनसे सहयोग करने लगे, जैसे सरकार की खरीद-नीति में संशोधन, कपास पर आबकारी की समाप्ति, जापानी प्रतियोगिता से निपटने के लिए सूती मालों पर आयात-शुल्क में वृद्धि, साम्राज्यिक प्राथमिकता और मुद्रा-नीति के विरोध जैसे सवालांे पर। व्यापारियांे ने गाधी के रचनात्मक कायक्र्र मों और स्वराज्यवादियांे के अभियान कोषों मंे भी जमकर दान दिए। फिर भी, गांधीवादी कांग्रेस के नेतृत्व में आंदोलनों की राजनीति से अपनी किस्मत जोड़ने के बारे में कई पूँजीपति सशंकित थे।
How to cite this article:
अखिलेन्द्र कुमार रंजन. साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष में पूँजीपति वर्ग की आशंका. Int J Appl Res 2019;5(1):503-505.