International Journal of Applied Research
Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)
मिथिला में स्वतंत्रता आन्दोलन तथा पत्रकारिताः एक ऐतिहासिक अध्ययन
Author(s)
डाॅ. देवेन्द्र कुमार आजाद
Abstract
स्वतंत्रता आन्दोलन में मिथिलावासियों का अथक योगदान रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन, समाचार पत्र तथा राष्ट्रवाद के बीच स्पष्ट सम्बन्ध मौजूद है। वस्तुतः 1857 के विद्रोह के असफल हो जाने के बाद शिक्षित बुद्धिजीवियों में एक बेचैनी पैदा हो गयी। फलतः विभिन्न स्तरों पर स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए व्यापक पैमाने पर विचार तथा संगठन के जरिए स्वतंत्रता आन्दोलन की चेतना को नया आधार प्रदान किया गया। देश के कोने-कोने में उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद के खिलाफ असंतोष की भावना परिव्याप्त थी। फलतः पूणर्जागरण आन्दोलन के चिन्तकों तथा समाज सुधार आन्दोलन से जुड़ें कार्यकत्र्ताओं ने अपने-अपने स्तरों पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रवाद के विकास के लिए योगदान किया। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना मूलतः अभिजन वर्ग के द्वारा किया गया था। कांग्रेस के संगठन तथा उद्देश्य में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहा तथा अंततः यह स्वतंत्रता आन्दोलन का केन्द्रीय संगठन सिद्ध हुआ। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान विभिन्न चिन्तकों तथा नेताओं ने 1885 से 1947 के कालखण्ड में समाचार पत्रों का प्रकाशन किया। साथ ही इन नेताओं एवं चिन्तकों ने समय-समय पर समाचार पत्रों में समता, स्वतंत्रता, न्याय तथा भाईचारे के सम्बन्ध में लेखों एवं वैचारिक निबन्धों को प्रकाशन किया। इस प्रकार स्वतंत्रता आन्दोलन में समाचार पत्रों की भूमिका महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई।
How to cite this article:
डाॅ. देवेन्द्र कुमार आजाद. मिथिला में स्वतंत्रता आन्दोलन तथा पत्रकारिताः एक ऐतिहासिक अध्ययन. Int J Appl Res 2019;5(1):506-509.