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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 5, Issue 12, Part B (2019)

भारत में असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के साथ लैंगिक असमानताः एक अध्ययन

भारत में असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के साथ लैंगिक असमानताः एक अध्ययन

Author(s)
डाॅ. पिंकी कुमारी, श्री सत्यनारायण सहनी
Abstract
भारत की कुल श्रम शक्ति का 86 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में कार्यशील है। जिसमें महिला श्रम की भागीदारी 65 प्रतिशत है। महिला श्रमिक कृषि, निर्माण कार्य, गृह उद्योग, कालीन बुनाई, जैसे असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत है। इन क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के संरक्षण से दूर है एवं शोषण का शिकार है। भारतीय संविधान में समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान है लेकिन ग्रामीण एवं खासतौर पर असंगठित क्षेत्रों में इसका पालन नहीं होता है इन क्षेत्रों में मजबूर महिलांए सस्ती श्रमिक है। राष्ट्रीय स्तर पर श्रम प्रतिस्पर्धा में महिला भागीदारी 25.51 प्रतिशत है जो शहरी क्षेत्रों में 15.44 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों मं 30.2 प्रतिशत है। इसके बावजूद भी महिलाएं आर्थिक स्तर पर लैंगिक भेदभाव का शिकार है उन्हें पुरूषों के समान कार्य करने पर भी उनके समान वेतन नहीं दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला दैनिक मजदूरी 201/- रूपये है जबकि पुरूषों की 322/- रूपये है वहीं शहरी क्षेत्रों में महिला मजदूरी 366/- रूपये एवं पुरूषों की 469 रूपये हैं। महिलाओं को समान कार्य करने के बावजूद भी पुरूषों की अपेक्ष़्ाा 30 से 40 प्रतिशत कम भुगतान किया जाता है। देश में महिला कर्मचारी को पुरूष की तुलना में औसतन 62 प्रतिशत वेतन मजदूरी कम प्राप्त होती है। संविधान के द्वारा महिलाओं के संदर्भ में भेदभाव की समाप्ती एवं समान अधिकार की बात कहीं गई है। लेकिन धरातल पर यह दिखाई नहीं देता है। चाहे घरेलू महिला हो या कामकामजी महिला दोनों ही आर्थिक स्तर पर लैंगिक भेदभाव का शिकार है जिसके पीछे मुख्य कारण रूढ़िवादी पारम्परिक सोच, पुरूष प्रधान समाज, लिंग आधारित शैक्षणिक असमानता, रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रणाली का अभाव। असंगठित क्षेत्रें में नियमों का उल्लंघन, अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभाव, गरीबी, सवैधानिक प्रावधानों का निष्क्रिय क्रियान्वयन प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। यदि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की ओर ध्यान दिया जाये एवं उनके विरूद्ध हो रहे आर्थिक भेदभाव को समाप्त कर दिया जाये तो भारत की जी.डी.पी. में 8 प्रतिशत तक का उछाल सम्भव है। महिलाओं को शिक्षित करने, उनके विरूद्ध रूढ़वादी सोच में परिवर्तन लाकर, असंगठित क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं को समाप्त कर एवं विधियों का प्रभावी क्रियान्वयन कर हम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर सकते है जो महिला सशक्तिकरण एवं राष्ट्रविकास के लिए परम आवश्यक है।
Pages: 102-105  |  3303 Views  409 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ. पिंकी कुमारी, श्री सत्यनारायण सहनी. भारत में असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के साथ लैंगिक असमानताः एक अध्ययन. Int J Appl Res 2019;5(12):102-105.
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