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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 5, Issue 12, Part D (2019)

शान्ति रक्षा अभियानः अवधारणात्मक पहलु

शान्ति रक्षा अभियानः अवधारणात्मक पहलु

Author(s)
DK Pandey and Sohan Singh
Abstract
शान्ति रक्षा शब्द मूल चार्टर में कहीं प्रयुक्त नहीं हुआ है, यह संयुक्त राष्ट्र का सृजनात्मक प्रयोग है इसे चार्टर के अध्याय 06 और 07 के मध्य को कहा जा सकता है। शान्ति रक्षा का विचार संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डाग हैमरशोल्ड द्वारा प्रतिपादित निरोधक राजनय के सिद्धान्त पर आधारित है, जिसका तात्पर्य युद्धों के परिसीमन और स्थानीकरण से है। हैमरशोल्ड का मानना था कि शीत युद्ध के वातावरण में यह आवश्यक था कि संयुक्त राष्ट्र के असंलग्न सदस्यों के माध्यम से युद्धों की प्रारम्भिक अवस्था में रोकथाम की जाये, विशेषकर उनका स्थानीकरण किया जाए, ताकि वे शीतयुद्धीय आयाम न ग्रहण कर सकें। यद्यपि शान्ति रक्षा के तत्व यथा युद्ध विराम, विराम संधि, पर्यवेक्षक आयोग आदि पुराने साधन है, परन्तु शान्ति रक्षा कार्यवाही का विचार नवीन है। इस संदर्भ में शान्ति रक्षा शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 1000 दिनांक 05 नवम्बर, 1956 में किया गया, जिसके द्वारा स्वेज संकट के मामले में सर्वप्रथम शान्ति रक्षा सेना का गठन किया गया।
Pages: 229-232  |  621 Views  52 Downloads
How to cite this article:
DK Pandey, Sohan Singh. शान्ति रक्षा अभियानः अवधारणात्मक पहलु. Int J Appl Res 2019;5(12):229-232.
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