Vol. 5, Issue 2, Part C (2019)
बहà¥à¤œà¤¨ समाज और डाॅ॰ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤®
बहà¥à¤œà¤¨ समाज और डाॅ॰ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤®
Author(s)
जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ चनà¥à¤¦à¥à¤° चौधरी
Abstract
डाॅ॰ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤® जिस समाज में पैदा हà¥à¤ वह वासà¥à¤¤à¤µ में बहà¥à¤œà¤¨ समाज है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस समाज की गहरी पीड़ा को à¤à¥‹à¤—ा था, जिसके कारण उनकी रचनाओं को ये पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग अतà¥à¤¯à¤‚त गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ हà¥à¤† है। तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤® ने अपनी आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ के दोनों à¤à¤¾à¤—ों- ‘मà¥à¤°à¥à¤¦à¤¹à¤¿à¤¯à¤¾’ तथा ‘मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•à¤¾’ में अपनी वैयकà¥à¤¤à¤¿à¤• पीड़ा के साथ अपने परिवेशगत सतà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। उनकी चेतना में बहà¥à¤œà¤¨ समाज की रीति-नीति पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ के साथ उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आता है।
How to cite this article:
जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ चनà¥à¤¦à¥à¤° चौधरी. बहà¥à¤œà¤¨ समाज और डाॅ॰ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤®. Int J Appl Res 2019;5(2):222-225.