Vol. 5, Issue 3, Part A (2019)
भारत में कौशल विकास में उभरती हुयीं संभावनायें
भारत में कौशल विकास में उभरती हुयीं संभावनायें
Author(s)
Dr. Ranu Sharma and Manoj Kumar
Abstract
देश के आर्थिक, सामाजिक विकास के लिए कौशल, ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी योग्यता वो प्रेरक बल हैं जो देश को आगे ले जाने में मदद करते हैं। वर्तमान वैश्विक माहौल में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य चुनौती से निपटने में वे देश आगे हैं जिन्होनें कौशल एवं तकनीकी के उच्च स्तर को छू लिया है। श्रम ब्यूरो की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में औपचारिक रूप से कुशल कार्यबल का वर्तमान आकार केवल 2 प्रतिशत है। पिछले कई दशकों में शिक्षा के गिरते स्तर और पिछड़ेपन के कारण पारम्परिक शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं के एक बड़े वर्ग को रोजगार सम्बन्धी योग्यता की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि भारत में ज्ञान, विज्ञान, नैतिकता, आचार, विचार की कमी है। इतिहास इस बात का गवाह है कि प्राचीन काल में भारत अपने कौशल, ज्ञान, विज्ञान, ज्योतिष, खगोल, गणित आदि के लिए विश्व में जाना जाता था और आज भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था शानदार मस्तिष्कों को जन्म दे रही है लेकिन उसका प्रतिशत बहुत कम है। काॅलेजों और विश्वविद्यालयों से निकलने वाली प्रतिभाओं में रोजगार योग्य कौशल की कमी देखी गई है और दूसरे हमारी शिक्षा पद्धति में कोई विशेष परिवर्तन नहंी हुआ है। हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार प्रौद्योगिकी और तकनीकी नहीं है जिसके कारण उच्चशिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी हमारे युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती है। इसके लिए हमें अपनी शिक्षा पद्धति में सकारात्मक परिवर्तन लाने होंगें। युवाओं को आवश्यक व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करनी होगी जिससे वह शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें। विद्यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा का प्रयोग युवा उद्योगों और फैक्ट्रियों में कर सकेंगें और आसानी से रोजगार पा सकेंगें। इसके साथ ही साथ व्यवहारिक रोजगारपरक शिक्षा एवं कौशल आधारित शिक्षा पद्धति अपनाकर हम बेरोजगारी पर काबू पा सकते हैं।
How to cite this article:
Dr. Ranu Sharma, Manoj Kumar. भारत में कौशल विकास में उभरती हुयीं संभावनायें. Int J Appl Res 2019;5(3):65-68.