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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 5, Issue 4, Part H (2019)

साहित्यकारक रूप मे यात्रीक समाजवादी चित्रण

साहित्यकारक रूप मे यात्रीक समाजवादी चित्रण

Author(s)
प्रदीप कुमार
Abstract
यात्रीजीक जातिगत पहिचानक अलावा एकटा आरोप ईहो रहल अछि जे मैथिली मे बहुत रास आक्रोपूर्ण बात कें सटीक रूपें अभिव्यक्त करबाक क्षमता नहि छै। कठोर बातक ओतबे कठोर प्रभाव, भाषाक मारक क्षमता, वैचारिक-दार्शनिक उत्तेजना आ गंभीरता कें बहुत प्रभावशाली आ बहुआयामी बनयबाक क्षमता तेहन सहज नहि छै। ई बात हाल-हाल धरि सत्ये जकाँ लगै छल। ओना यात्री, ललित, राजकमल, धूमकेतु, राज मोहन झा, कुलानंद मिश्र, अग्निपुष्प सन किछु रचनाकार बहुत हद धरि ओहि धारणा कें पहिनहि सँ तोड़बाक महत्त्वपूर्ण प्रयास कयलनि अछि। ‘शिखा’, ‘सन्निपात’ सँ ‘आरंभ’, ‘अंतिका’ धरि ओहि दिशा मे प्रयासरत किछु पत्रिको रहल अछि। मुदा एहि धारणा के ‘मोड़ पर’ बेसी प्रभावशाली ढंगें अछि। ई उपन्यास मैथिली मे एक टा तँ मैथिली साहित्यक पूरा परिदृश्य के बदलल जा सकैछ। मुदा एहि उपन्यास कें परखैक मानसिकता उपन्यास प्रकाशनक चारि वर्ष भ’ गेलाक बादो नहि बनि सकल अछि। विडंबनाक बात जे मैथिली साहित्यक सर्वाधिक लोक एखन धरि एकरा पढ़बो नहि कयलनि। जे सभ पढ़लनि ओ पचा नहि सकलाह। ई बात पहिनहि साफ क’ दी जे दक्षिण-पंक्षी-मनुवादी लोकनि के धूमकेतुक साहित्य नहि कहियो अरघलनि, ने अरघतनि। तें ओहन लोक सँ ‘मोड़ पर’ क महत्त्व बुझवाक अपेक्षे राखब बेकार हैत।
Pages: 525-527  |  1090 Views  169 Downloads


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How to cite this article:
प्रदीप कुमार. साहित्यकारक रूप मे यात्रीक समाजवादी चित्रण. Int J Appl Res 2019;5(4):525-527.
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