Vol. 5, Issue 7, Part E (2019)
मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज
मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज
Author(s)
डॉ. मनोज कà¥à¤®à¤¾à¤° शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾
Abstract
इसà¥à¤²à¤¾à¤® के उदà¥à¤à¤µ से पूरà¥à¤µ अरब समाज धूल के कण के समान बिखरा हà¥à¤† था। मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ साहब ने उसे à¤à¤•à¤¤à¤¾ के सूतà¥à¤° में बांध दिया। जो बरबरà¥à¤° और असà¤à¥à¤¯ लोग थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीने का तरीका सीख लिया। मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ साहब ने सारी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को समापà¥à¤¤ कर à¤à¤• नठसमाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। शराब और जà¥à¤† का यà¥à¤— समापà¥à¤¤ हो गया। मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦ का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ फैला। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के यà¥à¤— की समापà¥à¤¤à¤¿ हो गई और सारा अरब à¤à¤• नई सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के सृजन मातà¥à¤° से आहà¥à¤²à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ हो गया।
How to cite this article:
डॉ. मनोज कà¥à¤®à¤¾à¤° शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾. मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज. Int J Appl Res 2019;5(7):294-296.