Vol. 5, Issue 7, Part F (2019)
बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में पारिवारिक शिक्षा की भूमिका
बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में पारिवारिक शिक्षा की भूमिका
Author(s)
रंजीता कुमारी
Abstract
परिवार के सारे सदस्य एक-दूसरे के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते है, तो वह भी दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना सीख जाता हैं, यही नहीं परिवार में रहते हुए उसे शारीरिक, कलात्मक तथा नैतिक सभी प्रकार की शिक्षा प्राप्त होती है। वह माता से प्रेम, भाई-बहनों से मातृत्व भावना तथा पिता से न्याय आदि नैतिक आदर्शों की शिक्षा प्राप्त करता है। इस प्रकार उसकी पाश्विक प्रवृतियाँ मानवीय गुणों में परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार परिवारिक शिक्षा बालक के व्यक्तित्व की ऐसी आधारशीला बन जाती है। जिसे वह अपने जीवन पर्यन्त कभी नहीं भूलता। चूँकि प्रत्येक परिवार के प्रभाव अलग-अलग होते है इसलिए बालक दूसरे बालकों से भिन्न होता है। परिवार एक छोटी सी समाजिक संस्था है जिसमें रहते हुए बालक माता-पिता के अतिरिक्त भाई-बहनों तथा अन्य संबंधियों के संपर्क में आता है। इस सभी का अपना-अपना, अलग-अलग कार्य होता है। यह कार्य स्थिर नहीं होता। सभी सदस्य एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान करते है तथा एक दूसरे पर अपना प्रभाव डालते है। बालक भी परिवार के प्रत्येक सदस्य से प्रत्येक क्षण प्रभावित होता रहता है। इस प्रभाव से वह समाज के तौर-तरीके सीखता है तथा अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
How to cite this article:
रंजीता कुमारी. बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में पारिवारिक शिक्षा की भूमिका. Int J Appl Res 2019;5(7):528-529.