Vol. 5, Issue 7, Part F (2019)
महिला सशक्तिकरण में पंचायत की भूमिका
महिला सशक्तिकरण में पंचायत की भूमिका
Author(s)
सारथी कुमारी
Abstract
भारतीय पुनर्जागरण आंदोलन में महिलाओं की सामाजिक-सांस्कृतिक प्रस्थिति में सुधार के मुद्दे को जीवंत किया गया। आधुनिक शिक्षा, स्वतंत्रता, आंदोलन की चेतना, महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम तथा विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों के लगातार प्रयासों के कारण समता के लिए महिलाओं को संघर्ष का एक आधार प्राप्त हुआ है। भारत एक बहुल समाज का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। भारतीय सामाजिक संरचना में बहुल संस्कृति के तत्व मौजूद है। विभिन्न जाति, प्रजाति, धर्म तथा क्षेत्र के लोग भारत में रहते है। फलतः समता के लिए महिलाओं का संघर्ष अधिक धारदार नहीं है। भारत में मुस्लिम समाज की एक विशिष्ट पहचान तथा संस्कृति है। इसी तरह अन्य धार्मिक समूहों का भी अपने अलग-अलग सरोकार तथा पहचान है। जाहिर है कि विशिष्टताओं के कारण महिलाओं के संघर्ष की दिशा सुसंगठित नहीं है। संघर्ष में वर्ग-चेतना का अभाव है। भारत में सांस्कृतिक मानसिकता पितृसत्तात्मक वर्चस्व के पक्ष में रही है। पैतृक संपत्ति में महिलाओं की भागीदारी के सवाल पर समाज में स्पष्टता एवं एक सीमा तक ईमानदारी का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी समता के लिए महिलाओं के जुझारू संघर्ष का इंतजार है। जाति पंचायत तथा नातेदारी के नियमों का उल्लंघन साधारणतः संभव नहीं है। महिलाओं के लिए एक लक्ष्मण रेखा है। उन्हे उस लक्ष्मण रेखा की याद बार-बार दिलाई जाती है तथा अशिक्षित, अर्थहीन एवं धार्मिक मतवादों में उलझी हुई महिलाओं को कोई स्पष्ट मंजिल नहीं दिखाई दे रही है।
How to cite this article:
सारथी कुमारी. महिला सशक्तिकरण में पंचायत की भूमिका. Int J Appl Res 2019;5(7):535-537.