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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 6, Issue 1, Part D (2020)

गीता रहस्य और बाल गंगाधर तिलक

गीता रहस्य और बाल गंगाधर तिलक

Author(s)
डाॅ. राकेश कुमार झा
Abstract
तिलक की गीता के लिए बड़ी श्रद्धा थी। वह उनके जीवन की सबसे बड़ी सान्तवना थी और अपनी मृत्यु के समय भी गीता के कुछ स्मरणीय श्लोकों का उन्होंने उच्चारण किया और उसकी षिक्षाओं में उनके अटूट विष्वास के कारण ही हमें उनका यह भाष्य-‘‘गीता-रहस्य’’ प्राप्त हुआ। यह स्मरणीय भाष्य एक युग-परिवर्तनकारी ग्रंथ माना गया। गीता रहस्य के कर्मयोग की षिक्षा ने देष में कर्मवाद की एक शक्तिषाली धारा प्रवाहित कर दी। इस धारा ने अपने प्रवाह में देष के अधिकांष लोगों को समावेषित किया। जिसके फलस्वरूप भारत राष्ट्र निर्माण का स्वप्न संभव हो सका।
Pages: 286-289  |  883 Views  425 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. राकेश कुमार झा. गीता रहस्य और बाल गंगाधर तिलक. Int J Appl Res 2020;6(1):286-289.
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