Vol. 6, Issue 1, Part D (2020)
यथारà¥à¤¥ की उपज है शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ का कावà¥à¤¯-साहितà¥à¤¯
यथारà¥à¤¥ की उपज है शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ का कावà¥à¤¯-साहितà¥à¤¯
Author(s)
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
विषमता à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज का कड़वा यथारà¥à¤¥ है जिससे हर सवरà¥à¤£ मà¥à¤à¤¹ छà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¤¾ रहा है और नीच-अछूत कहकर अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥‚रà¥à¤¤à¤¿ के लिठदलितों का खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® शोषण करता रहा है। यहाठकी सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में जातिवाद की जड़े अमरबेल की माफिक सदियों से बदसà¥à¤¤à¥‚र फलफूल रही है। आजाद मà¥à¤²à¥à¤• में छà¥à¤†à¤›à¥‚त को अपराध धोषित किया जा चà¥à¤•à¤¾ है परंतॠसामाजिक तौर पर आज à¤à¥€ दलित कहलानेवाली जातियों से लोग दूरी बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते है।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. यथारà¥à¤¥ की उपज है शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ का कावà¥à¤¯-साहितà¥à¤¯. Int J Appl Res 2020;6(1):308-311.