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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 6, Issue 10, Part M (2020)

भारतीय समाज में वृद्धों की समस्याओं के कारण एवं समाधान

भारतीय समाज में वृद्धों की समस्याओं के कारण एवं समाधान

Author(s)
डाॅ0 सुषमा कुमारी
Abstract
समय के साथ साथ मानव प्रगति पथ पर बढ़ता जा रहा है। कहा जाता है परिवर्तन प्रकृति का नियम है.परन्तु मानव अपनी बौद्धिक क्षमता के सहारे से अनेक परिवर्तन करता आ रहा है। नित नयी सुविधाएँ जुटाना उसका लक्ष्य रहता है और उसकी यह लालसा उन्नति का कारण बनती है। आज मानव उन्नति के उस शिखर पर पहुँच चुका है, जहाँ से विकास की गति को पंख लग गए है। विकास की गति कहीं अधिक तीव्र हो गयी है,शिक्षा का प्रचार प्रसार तेजी से हो रहा है,शिक्षा से प्राप्त ज्ञान के कारण मानव का रहन सहन,खान पान.एवं सोच में बड़े बदलाव आ रहे हैं । प्रत्येक व्यक्ति आधुनिक सुविधाओं से युक्त जीवन जीना चाहता है,अधिक से अधिक सुविधाएँ जुटा लेने की होड में लग गया है, इसी प्रतिद्वान्विता ने उसके सुख,चैन,शांति को छीन लिया है। वह तनावग्रस्त होता जा रहा है। उसकी सोच में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं । उसके कारण आज का युवा परंपरागत रूढियों,दकियानूसी मान्यताओं को तोड़ डालना चाहता है. वह स्वच्छंद एवं स्वतन्त्र होकर जीना चाहता है.उसकी यही सोच बुजुर्गों को आहत करती है। आज के बुजुर्ग अचानक आये परिवर्तनों को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं । उसे अपने समय के जीवन मूल्य और आदर्श ही अच्छे लगते हैं । अतः वह इसके लिए नए जमाने और नयी पीढ़ी को दोषी मानता है । परन्तु नयी पीढ़ी उनकी सोच को,उनके सिद्धांतों को नकार देती है और पुरानी पीढ़ी से दूरियां बनाने लगती है,परिवार में सामंजस्य का अभाव उत्पन्न होने लगता है, जो घर में विद्यमान बुजुर्गों के लिए दुखदायी होता है।
Pages: 779-783  |  5823 Views  5368 Downloads
How to cite this article:
डाॅ0 सुषमा कुमारी. भारतीय समाज में वृद्धों की समस्याओं के कारण एवं समाधान. Int J Appl Res 2020;6(10):779-783.
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