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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 6, Issue 10, Part P (2020)

भारत की ऋतु परम्परा: वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में

भारत की ऋतु परम्परा: वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में

Author(s)
डॉ0 अंशू सरीन, डॉ0 गीता परिहार
Abstract
प्रस्तुत शोध पत्र में हमने ऋतुओं के विषय में अध्ययन किया है। जिसमें हमने षड़ऋतु, द्वादश ऋतु (बारह मासा) में वर्षाकाल का विवरण संक्षिप्त रूप में दिया। वस्तुतः भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण यहाँ का किसान खेती पर आधारित रहते हैं, उस पर वर्षा का इन्तजार करते हैं। इस वर्षाकाल की ऋतुओं के साथ गणना करके आज के मौसम विज्ञानी वर्षा की घोषणा या मौसम सम्बन्धी सूचनायें देते हैं। आज इस क्षेत्र में शिक्षा की जागरूकता की आवश्यकता है। वस्तुतः इस क्षेत्र में हमारे ऋषि-मनीषियों ने ठीक-ठीक गणना कर ऋतुओं का काल निर्धारण कर दिया था। पर समय की माँग को देखते हुये इसकी शिक्षा की व्यवस्था सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में होनी चाहिये। यह विषय इतना व्यापक है कि कई क्षेत्रों से जुड़ा है जिसका ज्ञान होना नितान्त आवश्यक है। यहाँ हमने इसका अध्ययन सार-संक्षेप में किया है। जबकि यह शोध-परक विषय है।
Pages: 1089-1092  |  339 Views  81 Downloads
How to cite this article:
डॉ0 अंशू सरीन, डॉ0 गीता परिहार. भारत की ऋतु परम्परा: वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में. Int J Appl Res 2020;6(10):1089-1092.
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