Vol. 6, Issue 2, Part E (2020)
मैथिलकवि विद्यापति की महाभावोपासनाः एक समीक्षा
मैथिलकवि विद्यापति की महाभावोपासनाः एक समीक्षा
Author(s)
डाॅ॰ शंकर शरण प्रसाद
Abstract
साधनाजगत् में प्रीति की पराकाष्ठा को महाभाव कहा जाता है। इस प्रीति की अष्ट अन्तर्दशाएँ होती है। महाभाव में संयोग एवं वियोगजन्य लीलाओं का आनन्द प्राप्त होता है। इस महाभाव का वर्णन मधुररस में किया जाता है। रसिकसन्त कवियों ने भगवान् पुरुषोत्तम के आलम्बनत्व में इसका वर्णन किया है। वस्तुतः इस परमभाव की उपासना से सहज ही परमानन्द प्राप्त हो जाता है। राधाकृष्ण की लीलावर्णन के सन्दर्भ में कवियों ने महाभाव को प्रख्यापित किया है।
How to cite this article:
डाॅ॰ शंकर शरण प्रसाद. मैथिलकवि विद्यापति की महाभावोपासनाः एक समीक्षा. Int J Appl Res 2020;6(2):345-347.