Vol. 6, Issue 3, Part A (2020)
आहार एक सैद्धान्तिक अध्ययन
आहार एक सैद्धान्तिक अध्ययन
Author(s)
Shukla RB and Vats Anurag
Abstract
सम्पूर्ण चर-अचर सृष्टि की उत्पति पंचमहाभूत से हुई है।ऐसा द्रव्य जो प्राणियों द्वारा ग्रहण किये जाने पर बल को उत्पन्न करें, देह को धारण क्रें आयु, तेज, ओज, उत्साह, स्मृति तथा अग्नि का वर्धन करें, उसे आहार कहते है।आहार ही मानव शरीर के स्वास्थ्य व रोगोत्पŸिा दोनों के लिए कारणभूत होते हैं। इसलिए आहार के दो भेद करने की परम्परा एक पथ्य (हितकर) व दूसरा अपथ्य (अहितकर) अतएव प्रत्येक व्यक्ति को हितकर आहार सेवन करना चाहिए। शरीर की प्रकृति, वय, ऋतु (वसन्तादि) आदि के अनुसार रसों का प्रमाण जिस पुरूष के लिए जितना होना चाहिए उस रस का उस पुरूष के लिए उतना प्रमाण सम प्रमाण होता है। आहार की मात्रा का निर्णय अग्निबल के अनुसार किया जाता है। आहार मात्रा के निर्धारण का सामान्य नियम कुक्षि (कोष्ठ) के तीन भाग करना है। कुछ ऐसे द्रव्य है जो प्रतिदिन सेवन किये जाने योग्य नहीं होते हैं।
How to cite this article:
Shukla RB, Vats Anurag. आहार एक सैद्धान्तिक अध्ययन. Int J Appl Res 2020;6(3):04-06.