Vol. 6, Issue 3, Part E (2020)
संगीत शिकà¥à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ शिकà¥à¤·à¤£ विधियां
संगीत शिकà¥à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ शिकà¥à¤·à¤£ विधियां
Author(s)
डाo सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ सिवाच
Abstract
शिकà¥à¤·à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• संयम और पà¥à¤°à¤—तिशील विकास है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ की अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करना ही शिकà¥à¤·à¤¾ है। वासà¥à¤¤à¤µ में किसी à¤à¥€ विषय की शिकà¥à¤·à¤¾ का अरà¥à¤¥ केवल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अथवा जीविका का उपारà¥à¤œà¤¨ नहीं है। शिकà¥à¤·à¤¾ का अरà¥à¤¥ व उदà¥à¤§à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मानवीय जीवन का चारों ओर से अधिक से अधिक विकास करना है। जीवन के जिन विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के साथ शिकà¥à¤·à¤¾ का समनà¥à¤µà¤¯ अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है उनमें जीविका, कà¥à¤°à¥€à¥œà¤¾, ललितकला व राजनीति, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ को मà¥à¤–à¥à¤¯ माना जा सकता है। संगीत शिकà¥à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल, मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² व आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल में समय की मांग अथवा आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प बदलाव आà¤, जिनके कारण संगीत वैदिक अथवा पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से अब तक विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शिकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से गà¥à¤œà¤°à¤¾à¥¤
How to cite this article:
डाo सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ सिवाच. संगीत शिकà¥à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ शिकà¥à¤·à¤£ विधियां. Int J Appl Res 2020;6(3):305-308.