Vol. 6, Issue 3, Part G (2020)
वेदों में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ से संबंधित विचार
वेदों में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ से संबंधित विचार
Author(s)
डॉ0 शिखर वासिनी
Abstract
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• अथवा जैविक-अजैविक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ घटकों को समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ किया जाता है, जो जीव की दशाओं और कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है। वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की आधारशिला है ‘यजà¥à¤ž‘। यह यजà¥à¤ž वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¥€ किठजाते थे तथा सामाजिक सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¥€à¥¤ यजà¥à¤ž छोटे-बड़े अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के थे। पर सामानà¥à¤¯ जन के लिठ‘अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करना अनिवारà¥à¤¯ ही था। अगà¥à¤¨à¤¿ में गाय के दूध से बना घी, गाय के गोबर के कणà¥à¤¡à¥‡ (उपले) अथवा आमà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की समिधाà¤à¤‚ तथा अनà¥à¤¯ वानसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤• हवन सामगà¥à¤°à¥€ की आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जो धà¥à¤‚आ होता था वह ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ और कारà¥à¤¬à¤¨à¤¡à¤¾à¤‡à¤‘कà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ में संतà¥à¤²à¤¨ रखने में समरà¥à¤¥ होता था तथा साथ ही कीटाणà¥à¤“ं को नषà¥à¤Ÿ करने में à¤à¥€ सहायक होता था। वायà¥à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² में पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के असंतà¥à¤²à¤¨ के कारण वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में ऋतà¥à¤šà¤•à¥à¤° बहà¥à¤¤ कà¥à¤› बदल गया है तथा अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हो गया है। कहीं इतना हिमपात होता है कि जन-जीवन असà¥à¤¤-वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो जाता है। कहीं सूखा पड़ जाता है तो कहीं आती है बाà¥à¥¤ ये सब पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विपतियां मनà¥à¤·à¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मानव ने ही पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संतà¥à¤²à¤¨ को बिगाड़ा है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के असंतà¥à¤²à¤¨ ने ही ऋतà¥à¤šà¤•à¥à¤° को बदला है जिससे जनसामानà¥à¤¯ का जीवन à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† है।यदि हम अपने धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के नीति मानदणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ को आज पà¥à¤¨à¤ƒ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर अरणà¥à¤¯à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की नैतिकता व मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¿à¤•à¤¾ को संपूरà¥à¤£ à¤à¥‚मणà¥à¤¡à¤²à¥€à¤¯ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• मानवता को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करवाने का संकलà¥à¤ª लें तो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ नैतिकता की तकनीक ही परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ को विशà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ विकराल समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान कर सकती है।
How to cite this article:
डॉ0 शिखर वासिनी. वेदों में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ से संबंधित विचार. Int J Appl Res 2020;6(3):526-530.