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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 6, Issue 7, Part A (2020)

डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहित्य में वर्णित समाज

डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहित्य में वर्णित समाज

Author(s)
शम्भू पासवान
Abstract
समाज ही मानवता-श्रृंगार का मूल है, लेकिन मानवता की दृष्टि साहित्योत्थान कई कारणों से अवरूद्ध, होने के कारण मानवीय व्यक्तित्व की विकृत्तियाँ परवान चढ़ चुकी हैं। कथाकार उषाकिरण खान की कहानियों, उपन्यासों, नाटकों में अनेक वैचारिक या सारांश प्रस्तुत है। उपन्यास ‘गई झुलनी टूट’ में ग्रामीण लोक के बनते-बिगड़ते, सम्बन्ध, नारी-मन की व्यथा और पंचायती राज के ताने-बाने का रेखांकन है। ‘भामती’ में मिथिला के लोकजीवन, इतिहास, क्षेत्रीय विशेषताओं, सामाजिक राजनीतिक-जीवन के साथ ही सम्पूर्ण सांस्कृतिक विरासत को उद्घाटित करती है। ‘सिरजनहार’ में विद्यापति के जीवन-संघर्ष और जीवन-द्वन्द्व की सृजनात्मक अभिव्यक्ति है। ‘फागुन के बाद’ उपन्यास में मौसम में बदलापव के साथ मानवीय जीवन के बदलते घटनाक्रम को विस्तृत और वैचारिक आग्रह के साथ प्रस्तुत किया है। ‘मौसम का दर्द’ कहानी में नायिका का स्वाभाविक-जीवन-दर्शन, प्रत्याख्यान प्रकृति के आलम्बन पर ही निर्मित है। ‘कहाँ गये मेरे उगना’ नाटक में मैथिल समाज के जनश्रुतियों का हिस्सा है। मिथिला की संस्कृति में ‘उगना’ भगवान शिव का पर्याय है, जिसकी खोज इस नाटक में विद्यापति करते हैं। ‘हीरा डोम’ प्रसिद्ध नाटकों में से एक है। यह भी अनुभूतिजन्य सच्चाई का ही प्रतिबिम्ब है।
Pages: 43-45  |  1293 Views  455 Downloads


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How to cite this article:
शम्भू पासवान. डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहित्य में वर्णित समाज. Int J Appl Res 2020;6(7):43-45.
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