International Journal of Applied Research
Vol. 7, Issue 11, Part D (2021)
राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका का ऐतिहासिक और समकालीन समाजशास्त्रीय विश्लेषण
Author(s)
डॉ अनु रस्तोगी, हिमानी शर्मा
Abstract
किसी भी राष्ट्र को सुदृढ़, सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य उस राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाकर ही प्राप्त किया जा सकता है, जिसके लिए महिलाओं व पुरुषों दोनों के सम्मिलित प्रयास आवश्यक हैं। यदि महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ है तो निश्चित ही देश भी सुदृढ़ व सशक्त होगा। बदलती परिस्थितियों के साथ भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयासों के प्रभाव परिलक्षित हो रहे हैं। वर्तमान में महिलाओं की सामाजिक आर्थिक राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ी है। उन्होंने पुरुष वर्चस्व वाले समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। बदलते परिवेश में कार्यशील महिलाओं ने दोहरे दायित्व का निभाकर अपनी दोगुनी शक्ति का प्रदर्शन कर सिद्ध किया है कि समाज की प्रगति पुरुष और महिला दोनों की साझा जिम्मेदारी है। इस शोध पत्र में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका के इतिहास, वर्तमान व भविष्य की उन्नत आकांक्षाओं को विभिन्न आधारों पर विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है। राष्ट्र निर्माण हेतु महिलाओं के वैयक्तिक व सामूहिक प्रयासों को भी दर्शाया गया है क्योंकि महिलाओं का प्रत्येक प्रगतिशील कदम चाहें वह अपनी रूचि के क्षेत्र में हो या नवीन व्यवसाय में, महिलाओं को आत्मनिर्भर व सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ संपूर्ण राष्ट्र के विकास में सहयोगी होता है।
How to cite this article:
डॉ अनु रस्तोगी, हिमानी शर्मा. राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका का ऐतिहासिक और समकालीन समाजशास्त्रीय विश्लेषण. Int J Appl Res 2021;7(11):252-255. DOI:
10.22271/allresearch.2021.v7.i11d.9138