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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 7, Issue 2, Part C (2021)

ब्राह्मी लिपि एवं उससे प्रभावित लिपियां

ब्राह्मी लिपि एवं उससे प्रभावित लिपियां

Author(s)
प्रियांशी
Abstract
संसार के लोग अपने देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार अपने दैनिक व्यवहार एवं प्राप्त ज्ञान को लिखित रूप में सुरक्षित करने के लिए विभिन्न लिपियों का निर्माण करते हैं। भारत में प्राप्त अनेक प्राचीन मुद्राएं पढी न जाने से वर्त्तमान ज्ञात प्राचीनतम लिपि ब्राह्मी है। लगभग संपूर्ण भारत में प्रचलित ब्राह्मी लिपि में देश, काल, स्थान और विभिन्न लेखन पद्धतियों के कारण अनेक परिवर्तन हुए। जिससे कालान्तर में अनेक लिपियां विकसित हुई। भारत के निकटवर्ती देशों पर भी इसका प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। वर्त्तमान काल में प्रचलित भारतीय लिपियों का मूल ब्राह्मी लिपि है। प्रस्तुत शोधपत्र में ब्राह्मी लिपि के स्वरूप के साथ – साथ उससे विकसित लिपियों का भी चिंतन किया गया है।
Pages: 151-154  |  1187 Views  757 Downloads
How to cite this article:
प्रियांशी. ब्राह्मी लिपि एवं उससे प्रभावित लिपियां. Int J Appl Res 2021;7(2):151-154.
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