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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 2, Part G (2021)

क्रिप्टोकरेंसीः भविष्य की मुद्रा

क्रिप्टोकरेंसीः भविष्य की मुद्रा

Author(s)
प्रेम परिहार
Abstract
क्रिप्टोकरेंसी एक नवीन और डिजिटल मुद्रा के रूप में विकसित होती जा रही है। सामान्यतया क्रिप्टो से आशय ऐसी चीज या स्थिति से लगाया जाता है जिसका वास्तविक रूप से अस्तित्व नहीं होता ळें यह मुद्रा इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल या आभासी मुद्रा है। क्रिप्टोकरेंसी का निर्माण कोई भी व्यक्ति कर सकता है इस आभासी मुद्रा का मूल्य उस व्यक्ति या संस्था की विश्वसनियता पर निर्धारित होता है जो कम-ज्यादा हो सकता है और यदि विश्वसनियता समाप्त हो जाए तो यह मूल्य भी समाप्त हो जाता है। सातोषी नाकामोटा ने ब्लाॅक चैन का उपयोग करते हुए एक सुरक्षित आभासी मुद्रा के रूप में 3 जनवरी 2009 को प्रथमतः इसका उपयोग किया गया था। किसी बिटकाॅइन वाॅलेट का अपना निजी संख्या या कोड होता है जो बिटकाॅइन वाॅलेट में सुरक्षित रखा जाता है। जब वर्ष 2009 में बिटकाॅइन बाजार में आभासी मुद्रा के रूप में आया तो उसकी कीमत शून्य थी। वर्ष 2010 तक इसकी कीमत एक डाॅलर भी नहीं थी जो दिनांक 16 फरवरी 2021 को बिटकाॅइन की एक इकाई की कीमत 50,000 डाॅलर हो गई है। भारतीय रिर्जव बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित लेन-देनों को प्रतिबंधित कर दिया था। परन्तु सुप्रीम कोर्ट इस आभासी मुद्रा को लेन-देन हेतु मान्यता प्रदान की है। भारतीय रिर्जव बैंक ने 25 जनवरी 2021 को भुगतान प्रणाली पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। पेमेंट एण्ड सेटलमेंट सिस्टम इन इण्डिया पुस्तक के आधार पर रिपोर्ट में यह बताया है कि निजी डिजिटल मुद्रा, आभासी मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही लोकप्रिय हो रही है। ऐसे में भारतीय रिर्जव बैंक भी रूपया का डिजिटल संस्करण लांच करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
Pages: 433-435  |  769 Views  138 Downloads


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How to cite this article:
प्रेम परिहार. क्रिप्टोकरेंसीः भविष्य की मुद्रा. Int J Appl Res 2021;7(2):433-435.
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