Vol. 7, Issue 2, Part G (2021)
गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दौरान नारी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥ समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ समाधान
गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दौरान नारी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥ समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ समाधान
Author(s)
सीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
नारी à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€, समाज à¤à¤µà¤‚ परिवार की सृजनहार है। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के à¤à¤¾à¤µà¥€ करà¥à¤£à¤§à¤¾à¤° आज के ही शिशॠहैं और उनकी पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¥ उनकी माता ही होती है। यदि माता सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, सबल और जागरूक होगी तो उसकी संतान à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, सबल होगी। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नारी को अपना सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ आयेगा तो वह परिवार का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ समà¥à¤à¤¾à¤²à¥‡à¤—ी। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° परिवार, समाज और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ नारी के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पर ही निरà¥à¤à¤° है, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नारी अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ इतना सजग नहीं रहती। जब कोई महिला अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ असावधान रहती है तो वह इस बात को à¤à¥‚ल जाती है कि वह इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी संतान, परिवार, समाज à¤à¤µà¤‚ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का कितना अहित कर रही हैं। गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में à¤à¥€ पति à¤à¤µà¤‚ परिजनों के कहने पर à¤à¥€ दूध, फल व सà¥à¤ªà¤¾à¤šà¥à¤¯ पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• आहार नहीं लेती। इसका परिणाम होता है रोगों से घिर जाना। सामानà¥à¤¯ रोगों पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न देने से रोग जटिल à¤à¤µà¤‚ असाधà¥à¤¯ रूप धारण कर लेते हैं। à¤à¤¸à¥€ महिलायें पà¥à¤°à¤¸à¤µ के समय या तो वे अपनी संतान गवा देती हैं या सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपने जीवन से हाथ धो बैठती हैं।
How to cite this article:
सीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दौरान नारी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥ समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ समाधान. Int J Appl Res 2021;7(2):470-473.