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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 3, Part C (2021)

प्रो॰ श्याम मोहन अस्थाना के सामाजिक नाटकों की कथावस्तु

प्रो॰ श्याम मोहन अस्थाना के सामाजिक नाटकों की कथावस्तु

Author(s)
रोशन कुमार
Abstract
श्याम मोहन अस्थाना के नाटकों को कथ्य की दृष्टि देखे तो कई तरह के नाटक लिखे हैै - राजनीतिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर आधारित, वैचारिक नाटक इत्यादि। उनके सामाजिक नाटकों पर नजर डाले कथावस्तु मुख्यरूप से मध्यवर्गीय लोगों पर आधारित है।‘यह भी सच है’ में पागलखाने में ईलाज के बाद ठीक होने पर जब चेतन बाहर जाना चाहता है तो उसकी स्वार्थी परिवार वाले, उसके धन के लोभ में उसे पागल करार देकर उसे ले जाने से इनकार कर देते हैं।‘मेरा नाम मथुरा है नाटक में अस्थानाजी ने झुनिया को एक भारतीय नारी के प्रतीक के रूप में लिया है। वह अपना नाम झुनिया न बताकर कर ‘‘मेरा नाम मथुरा है’’ बताती है। मथुरा एक आदिवासी लड़की है, जिसके साथ एक गाँव के थाने में बलात्कार किया गया था।‘तीन सौ सीसी खून’ एक ब्लड डोनर की कथा है। गनेस नाम का एक मजबूर इंसान है। अपने खून का सौदा करके अपना, अपनी माँ का पेट पालता है।‘नागफनी का डाल’ एक मध्यवर्ग की कथा है। मनीषा काॅलेज में प्राध्यापिका है। वह अविवाहित है। विवाह करना उसके लिए समस्या है, अगर वह विवाह कर लेती है तो घर का खर्च चलना मुश्किल हो जाएगा, शायद असंभव। एक बात और है कि विवाह के लिए रुपये की आवश्यकता है। दहेज की वजह से शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया जाता है।‘बाजार-भाव’ नामक प्रहसन में सेठ गंगामल व्यापारी है और हर चीज को व्यापार की दृष्टि से देखता है। कोई जगह खाली नहीं है’ नाटक का मुख्य पात्र लक्ष्मी शंकर जी है। पी-एच॰डी॰ की डिग्री लेकर बेकार है। नौकरी की तलाश करते-करते थककर, मरघट पहुँच जाते हैं।
Pages: 133-135  |  875 Views  153 Downloads


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How to cite this article:
रोशन कुमार. प्रो॰ श्याम मोहन अस्थाना के सामाजिक नाटकों की कथावस्तु. Int J Appl Res 2021;7(3):133-135.
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