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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 7, Issue 4, Part F (2021)

राष्ट्र निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भूमिका

राष्ट्र निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भूमिका

Author(s)
डॉ. बीर बहादुर यादव
Abstract
भारतीय दलीय व्यवस्था की एक विचार करने योग्य विशेषता बड़ी संख्या में क्षेत्रीय दलों का होना है। क्षेत्रीय दल से हमारा अर्थ ऐसे दल से है जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्रा में कार्य करता है और इसकी गतिविधियाँ केवल एक अथवा मुट्ठी भर राज्यों तक सीमित होती हैं। दूसरे शब्दों में, राष्ट्रीय दलों के व्यापक विभिन्न प्रकार के हितों की तुलना में क्षेत्रीय दल एक विशेष क्षेत्र के हितों का प्रतिनिध्त्वि करते हैं। सरल शब्दों में, क्षेत्रीय दल अखिल भारतीय दलों से अपने दृष्टिकोण और हितों की दृष्टि से दोनों में बहुत अंतर है। वे केवल राज्य अथवा क्षेत्रीय स्तर पर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं और राष्ट्रीय सरकार पर नियंत्राण बनाने की इच्छा नहीं रखते। यह बात ध्यान देने योग्य है कि भारत में क्षेत्रीय दलों की संख्या राष्ट्रीय दलों से काफी अधिक है और कुछ राज्यों में क्षेत्रीय दल शासन भी कर रहे हैं, जैसे- पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, आसाम, जम्मू और कश्मीर आदि।
Pages: 437-440  |  503 Views  193 Downloads
How to cite this article:
डॉ. बीर बहादुर यादव. राष्ट्र निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भूमिका. Int J Appl Res 2021;7(4):437-440.
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