Vol. 7, Issue 7, Part A (2021)
सूरदास के साहितà¥à¤¯ का समाजशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
सूरदास के साहितà¥à¤¯ का समाजशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
सतीश कà¥à¤®à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ
Abstract
साहितà¥à¤¯ अगर समाज का दरà¥à¤ªà¤£ है तो साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° उस दरà¥à¤ªà¤£ का निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ जिसमें हम ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤‚ब को देख सकते हैं । हालांकि यहाठसाहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ समाज.दरà¥à¤¶à¤¨ का दरà¥à¤ªà¤£ तैयार करना नहीं होता किंतॠसामाजिक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ और à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤• पशॠहोने के कारण वह अनायास ही कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ सृजन कर देता है जो ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ हो जाते हैं । à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ समाज और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ घनिषà¥à¤ संबंध होने के कारण लाख सावधानी बरतने के बावजूद कोई साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° अपने साहितà¥à¤¯ में ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤‚ब उकेरने से नहीं बच सकता। यहीं कारण है कि कृषà¥à¤£.à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ शाखा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कवि सूरदास का साहितà¥à¤¯à¤ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ साहितà¥à¤¯ के साथ.साथ अपने समय का सामाजिक दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ à¤à¥€ माना जा सकता है । सूरदास ने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के साथ.साथ अपने साहितà¥à¤¯ में ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समाज की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दोनों का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ किया है । उनका साहितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ का संगम ही नहीं समाज à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का दोआब à¤à¥€ है ।
How to cite this article:
सतीश कà¥à¤®à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ. सूरदास के साहितà¥à¤¯ का समाजशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ . Int J Appl Res 2021;7(7):22-25.