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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 7, Issue 8, Part A (2021)

पुराणों में वेदार्थ विस्तार

पुराणों में वेदार्थ विस्तार

Author(s)
डॉ . गौरी भटनागर
Abstract
पुराणों का आर्य वाङ्मय में विशेष स्थान है। पुराणों को पञ्चम वेद कहा गया है। 1 आर्य संस्कृति के सर्वाङ्गीण अध्ययन के लिये पुराणों का अत्यधिक महत्त्व है। पुराणों में तत्कालीन संस्कृति के प्रत्येक पहलू के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही वैदिक अध्ययन के लिये तथा उन्हें समझने के लिये आर्य परम्परा पुराणों के अध्ययन को अनिवार्य समझती है। 2 पुराणों ने वेद के अगम्य ज्ञान को जनसाधारण के लिये सुलभ बनाया। आर्य-जीवन में वैदिक परम्परा को जीवित रखने तथा वेदानुगामी जनता को बचाये रखने का श्रेय पुराणों को है।
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How to cite this article:
डॉ . गौरी भटनागर. पुराणों में वेदार्थ विस्तार. Int J Appl Res 2021;7(8):04-06.
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