Vol. 8, Issue 11, Part C (2022)
असगर वजाहत नाटक: à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾
असगर वजाहत नाटक: à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾
Author(s)
फà¥à¤² कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
हिनà¥à¤¦à¥€ नाटà¥à¤¯-लेखन-पंरपरा में असगर वाजहत का नाम अतà¥à¤¯à¤‚त समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ लिया जाता है। असगर जी ने नाटक के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कई अà¤à¤¿à¤¨à¤µ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किये हैं। उनके नाटकों का कथà¥à¤¯ जितना जोरदार तथा पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है, à¤à¤¾à¤·à¤¾ और शिलà¥à¤ª उतना ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ातà¥à¤®à¤• तथा आकरà¥à¤·à¤• है। असगर वजाहत ने अब तक कà¥à¤² आठनाटकों की रचना की है जो à¤à¤• ही जिलà¥à¤¦ में ‘असगर वजाहत के आठनाटक’ नाम से संकलित संपादित और पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हैं। इस संगà¥à¤°à¤¹ में संकलित नाटक हैं- ‘फिरंगी लौट आऒ, ‘इनà¥à¤¨à¤¾ की आवाज’, ‘वीरगति’, ‘समिधा’ जिस लाहौर नइ देखà¥à¤¯à¤¾, ओ जमà¥à¤¯à¤¾à¤ˆ नइ, गोडसे@गॉंधी.कॉम और ‘पाकिटमार’ ‘रंग मंडल’। ‘फिरंगी फिर लौट आऒ को सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय विजय सोनी ने लखनऊ में कलाकारों के साथ 1976ई. में निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ किया था, पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ उसी साल दिलà¥à¤²à¥€ में à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤ उन दिनों देश में आपातकाल लागू था, जिसके चलते नाटक का नाम बदलना पड़ा था और वह हो गया था “जॉनबà¥à¤²’ बाद में दिलà¥à¤²à¥€ दूरदरà¥à¤¶à¤¨ से इसी नाटक को शीरà¥à¤·à¤• से दो à¤à¤¾à¤—ों में टेली पà¥à¤²à¥‡ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया। इसके à¤à¤•-दो साल बाद मà¥à¤à¥‡ ‘इनà¥à¤¨à¤¾ की आवाज’ अनिल चौधरी के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ में आई.आई.सी. के पà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¤—ृह में दिखायाा गया। à¤à¤• तरह से ‘फिरंगी फिर लौट आऒ लेखक का पà¥à¤°à¤¥à¤® पूरà¥à¤£à¤¾à¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• नाटक है। सनॠ1857 की पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि पर लिखे गठइस नाटक की देश à¤à¤° में अनेक पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚।
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फà¥à¤² कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. असगर वजाहत नाटक: à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾. Int J Appl Res 2022;8(11):158-160.