Vol. 8, Issue 11, Part D (2022)
कà¥à¤à¤µà¤° नारायण की कविताओं में मानव मूलà¥à¤¯
कà¥à¤à¤µà¤° नारायण की कविताओं में मानव मूलà¥à¤¯
Author(s)
अजिता तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी
Abstract
कà¥à¤à¤µà¤° नारायण ने अपनी रचनाओं में मानव मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का चितà¥à¤° बड़ी सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ से उकेरा है | मूलà¥à¤¯ जीवन के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अपना महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखता है | मूलà¥à¤¯ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रूप नैतिक मूलà¥à¤¯, सामाजिक मूलà¥à¤¯, राजनीतिक मूलà¥à¤¯ आदि हो सकते हैं | विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मानना है कि मूलà¥à¤¯ के बिना मानवीय जीवन की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना अविशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ है |
How to cite this article:
अजिता तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी. कà¥à¤à¤µà¤° नारायण की कविताओं में मानव मूलà¥à¤¯. Int J Appl Res 2022;8(11):217-219.