Vol. 8, Issue 11, Part E (2022)
उपभोक्ता संरक्षणः भारतीय परिप्रेक्ष्य में
उपभोक्ता संरक्षणः भारतीय परिप्रेक्ष्य में
Author(s)
डाॅ0 ज्योत्स्ना गौतम, डाॅ0 प्रभा गौतम
Abstractव्यवसायी या प्रदाता के द्वारा अधिक आर्थिक लाभ की आकांक्षा के कारण उपभोक्ता को गुणवत्ताहीन वस्तुएँ विक्रय के कारण उपभोक्ता को संरक्षण दिये जाने की आवश्यकता अनुभव की गयी। इसीलिए उपभोक्ता संरक्षण के लिए समय-समय पर विभिन्न अधिकारों की व्यवस्था की जाती रही है किन्तु बदलती हुई अर्थव्यवस्थाओं में जैसे-जैसे उपभोक्ता के लिए वस्तु एवं सेवा की विविधतापूर्ण एवं गुणवत्ता से युक्त वस्तुएँ एवं सेवायें उपलब्ध होने लगीं, वैसे-वैसे उपभोक्ता के शोषण के नये-नये यंत्रों का भी उदय होने लगा। इन्हीं शोषण के यन्त्रों से सुरक्षा के लिए भारत में समय-समय पर अनेक अधिनियमों के अन्तर्गत उपभोक्ता को अनेक अधिकारों के साथ-साथ उनके कानूनी संरक्षण तथा उनकी शिकायतों के निवारण के लिए त्रिस्तरीय तंत्र की व्यवस्था की गयी है। उपभोक्ता द्वारा भी अपने हितों के संरक्षण के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी साधनों का प्रयोग किया जा रहा है। उपभोक्ता की समस्याओं को दूर करने के लिए इस यज्ञ में आहुति देने के लिए गैर-सरकारी संगठन भी प्रयासरत हैं।
How to cite this article:
डाॅ0 ज्योत्स्ना गौतम, डाॅ0 प्रभा गौतम. उपभोक्ता संरक्षणः भारतीय परिप्रेक्ष्य में. Int J Appl Res 2022;8(11):328-332.