Vol. 8, Issue 3, Part B (2022)
जीवन का सार ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤ƒ à¤à¤¾à¤µà¤¤à¤°à¤‚गिणी
जीवन का सार ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤ƒ à¤à¤¾à¤µà¤¤à¤°à¤‚गिणी
Author(s)
डॉ. विमलेनà¥à¤¦à¥ कà¥à¤®à¤¾à¤° विमल
Abstract
कविवर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ राय ‘सà¥à¤¬à¥‹à¤§’ का जनà¥à¤® 01 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 1944 को बिहार राजà¥à¤¯ के समसà¥à¤¤à¥€à¤ªà¥à¤° जिला अंतरà¥à¤—त गà¥à¤°à¤¾à¤®-सिरदिलपà¥à¤° के à¤à¤• किसान परिवार में हà¥à¤† था। इनके पिता का नाम सà¥à¤µ0 केशà¥à¤µà¤° राय और माता का नाम शà¥à¤•à¤¨à¥€ देवी था। ये बचपन से मेधावी छातà¥à¤° थे। इनकी शिकà¥à¤·à¤¾-दीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤®. à¤., हिनà¥à¤¦à¥€ और बी0à¤à¤²0 तक हà¥à¤ˆà¥¤ इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ अबतक 8 पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हैं, जिनमंे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं -‘गीत तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ नाम’, ‘मन वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨,’ ‘पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की बांसà¥à¤°à¥€’, ‘सांसों के सरगम’, ‘यों न à¤à¥à¤²à¤¾ दीजिऒ। रूचि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही इनको à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रेल में वरिषà¥à¤ राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ अधिकारी के रूप में कारà¥à¤¯ करने का मौका मिला। इनकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ को देखते हà¥à¤ और राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ के उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के लिठराजà¤à¤¾à¤·à¤¾ विà¤à¤¾à¤—, गृह मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯, पूरà¥à¤µ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° कोलकाता à¤à¤µà¤‚ महापà¥à¤°à¤¬à¤‚धक, पूरà¥à¤µà¤¾à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤° रेलवे, गोरखपà¥à¤° ने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¥ƒà¤¤ किया।
How to cite this article:
डॉ. विमलेनà¥à¤¦à¥ कà¥à¤®à¤¾à¤° विमल. जीवन का सार ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤ƒ à¤à¤¾à¤µà¤¤à¤°à¤‚गिणी. Int J Appl Res 2022;8(3):91-93.