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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 8, Issue 4, Part F (2022)

वर्तमान काल में वरिष्‍ठ नागरिकों की पारिवारिक एवं सामाजिक स्थिति एवं समस्‍याओं का एक अध्‍ययन

वर्तमान काल में वरिष्‍ठ नागरिकों की पारिवारिक एवं सामाजिक स्थिति एवं समस्‍याओं का एक अध्‍ययन

Author(s)
शत्रुघ्‍न राऊत
Abstract
मानव जन्म के बाद से अपनी अवस्था में परिवर्त्तन को देखता और उसमें जीता है। 21 वीं सदी में वृद्धों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होने की संभावना है। विकसित राष्ट्रों में स्वास्थ एवं समूचित चिकित्सीय सुविधा के चलते व्यक्ति अधिक वर्षों तक जीवित रहते हैं अतः वृद्धों की जनसंख्या विकासशील राष्ट्रों से ज्यादा विकसित राष्ट्रों में ज्यादा है। वृद्ध लोगों में अक्सर सीमित पुनर्योजी क्षमताएं होती है और वे युवा व्यस्कों की तुलना में बीमारी सिंड्रोम चोट और बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। उम्र बढ़ने की जैविक प्रक्रिया को बुढ़ापा कहा जाता है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के चिकित्सा अध्ययन को जेरोन्टोलॉजी कहा जाता है और बुजुर्गों को पीड़ित करने वाले रोगों के अध्ययन को जराचिकित्सा कहा जाता है। बुजुर्गों को सेवानिवृत्ति अकेलापन और उम्रवाद के आसपास अन्य सामाजिक मुदों का भी सामना करना पड़ता है। बुढ़ापा एक निश्चित जैविक अवस्था नही है, क्योंकि वृद्धावस्था के रूप में निरूपित कालानुक्रमिक आयु सांस्कृतिक और एतिहासिक रूप से भिन्न होती है। 2011 में संयुक्‍तराष्ट्र ने मानवाधिकार सम्मेलन का प्रस्ताव रखा जो विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों की रक्षा करेगा।
Pages: 456-460  |  232 Views  57 Downloads
How to cite this article:
शत्रुघ्‍न राऊत. वर्तमान काल में वरिष्‍ठ नागरिकों की पारिवारिक एवं सामाजिक स्थिति एवं समस्‍याओं का एक अध्‍ययन. Int J Appl Res 2022;8(4):456-460.
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