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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 8, Issue 7, Part E (2022)

लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती 'रामदास' कविता

लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती 'रामदास' कविता

Author(s)
रजनी
Abstract
रघुवीर सहाय का जुड़ाव पत्रकारिता और साहित्य लेखन से एक साथ था। उनका पत्रकार रूप स्वातंत्र्योत्तर भारत में संसद से सड़क तक प्रजातांत्रिक मूल्यों के विघटन को खुली आँखों से देख रहा था; जिनके विखंडन के कारण प्रजातांत्रिक व्यवस्था में उसके आधार स्तंभों में ही कहीं छिपे हुए थे। उनका साहित्यकार इन मूल्यों की तलाश में ऐसे चरित्र, प्रसंग, स्थितियों की सृष्टि करता है जो पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं।इसी क्रम में रघुवीर सहाय की 'रामदास' कविता आती है जिसका कथ्य इतना है कि रामदास को पहले से ही बता दिया गया है कि उसकी हत्या कर दी जाएगी। निश्चित दिन, निश्चित समय और स्थान पर हत्यारा आता है। बीच सड़क पर भीड़ के सामने उसकी हत्या करके चला जाता है। प्रश्न उत्पन्न होता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतना जंगलराज, इतनी अराजकता क्यों और कैसे है? तथा कौन-कौन लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं? इस तरह के अनेक प्रश्न आलोच्य कविता से जन्म लेते हैं।
Pages: 541-544  |  274 Views  65 Downloads
How to cite this article:
रजनी. लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती 'रामदास' कविता. Int J Appl Res 2022;8(7):541-544.
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