Vol. 8, Issue 7, Part E (2022)
लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¹à¥à¤¨ लगाती 'रामदास' कविता
लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¹à¥à¤¨ लगाती 'रामदास' कविता
Author(s)
रजनी
Abstractरघà¥à¤µà¥€à¤° सहाय का जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ और साहितà¥à¤¯ लेखन से à¤à¤• साथ था। उनका पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° रूप सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में संसद से सड़क तक पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¾à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विघटन को खà¥à¤²à¥€ आà¤à¤–ों से देख रहा था; जिनके विखंडन के कारण पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¾à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में उसके आधार सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ में ही कहीं छिपे हà¥à¤ थे। उनका साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° इन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तलाश में à¤à¤¸à¥‡ चरितà¥à¤°, पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ करता है जो पूरी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर सवाल खड़े करते हैं।इसी कà¥à¤°à¤® में रघà¥à¤µà¥€à¤° सहाय की 'रामदास' कविता आती है जिसका कथà¥à¤¯ इतना है कि रामदास को पहले से ही बता दिया गया है कि उसकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी जाà¤à¤—ी। निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ दिन, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ समय और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ आता है। बीच सड़क पर à¤à¥€à¤¡à¤¼ के सामने उसकी हतà¥à¤¯à¤¾ करके चला जाता है। पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है कि लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में इतना जंगलराज, इतनी अराजकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और कैसे है? तथा कौन-कौन लोग इसके लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° हैं? इस तरह के अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ आलोचà¥à¤¯ कविता से जनà¥à¤® लेते हैं।
How to cite this article:
रजनी. लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¹à¥à¤¨ लगाती 'रामदास' कविता. Int J Appl Res 2022;8(7):541-544.