Vol. 8, Issue 9, Part A (2022)
हिंदी एवं जापानी में अकर्मक-सकर्मक क्रियाएँ
हिंदी एवं जापानी में अकर्मक-सकर्मक क्रियाएँ
Author(s)
सन्मति जैन
Abstract
विश्व के लगभग सभी भाषाविदों ने किसी भी भाषा के ज्ञान के लिये उस भाषा की क्रियाओं के ज्ञान को अधिक महत्व दिया है। यही कारण है कि विभिन्न भाषाविदों ने क्रियाओं के ज्ञान के लिए भिन्न-भिन्न उपाय खोजे हैं, जिनमें से क्रियाओं का वर्गीकरण कर उन पर शोध करना एक महत्वपूर्ण उपाय है। फलस्वरूप क्रियाओं को कभी उनकी संरचना के आधार पर, कभी कर्म के आधार पर, तो कभी-कभी क्रिया की नियमितता-अनियमितता के आधार पर रूपात्मक दृष्टि से वर्गीकृत कर विचार किया जाता रहा है। प्रस्तुत पत्र में हिंदी एवं जापानी की अकर्मक एवं सकर्मक क्रियाओं को समझने का प्रयास किया गया है। जिसमें प्रथमत: हिंदी भाषा में अकर्मक एवं सकर्मक क्रियाओं की क्या अवधारणा है। तथा अकर्मक से सकर्मक एवं सकर्मक से अकर्मक क्रिया बनाने के उपाय अथवा संभाव्य नियमों आदि पक्षों पर विचार किया गया है। तदोपरांत जापानी में अकर्मक एवं सकर्मक क्रियाओं की क्या अवधारणा है। तथा अकर्मक से सकर्मक एवं सकर्मक से अकर्मक क्रिया बनाने के उपाय अथवा संभाव्य नियमों आदि पक्षों पर भी विचार किया गया है। और अंत में दोनों ही भाषाओं (हिंदी एवं जापानी) की अकर्मक-सकर्मक क्रियाओं के विभिन्न पक्षों पर विचार कर निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है।
How to cite this article:
सन्मति जैन. हिंदी एवं जापानी में अकर्मक-सकर्मक क्रियाएँ. Int J Appl Res 2022;8(9):44-50.