ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF
यह अध्ययन 16वीं शताब्दी के राजस्थान में शेखावाटी राज्य के संस्थापक राव शेखा के ऐतिहासिक और भू-राजनीतिक विकास का अन्वेषण करता है। इस शोध का प्रमुख उद्देश्य राव शेखा के क्षेत्रीय विस्तार, सैन्य विजय और प्रशासनिक नेतृत्व को मध्यकालीन राजस्थान की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के संदर्भ में समझना है। शिखर वंशोत्पत्ति और देवगुण प्रकाश जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों, क्षेत्रीय लोककथाओं और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर यह कार्य गुणात्मक ऐतिहासिक पद्धति का उपयोग करते हुए शेखा के जीवन और विरासत का पुनर्निर्माण करता है।
शोध से यह स्पष्ट होता है कि राव शेखा ने 1502 विक्रम संवत में अपने पिता राव मोकलजी की मृत्यु के पश्चात् अल्पायु में नांण और बरवाड़ा की जागीर को प्राप्त कर सत्ता संभाली। बाल्यकाल में ही उन्होंने सैन्य प्रतिभा का परिचय देते हुए आस-पास के राजपूत राज्यों पर आक्रमण प्रारंभ किया। उन्होंने नागर चाल के सांखलों, गौड़ाटी के गौड़ों, रेवासा-कांसाली के चंदेलों, खंडेला के निरबाणों, और बैराठ के यादव-टांकों पर सफल विजय प्राप्त की। साइवाड़ के युद्ध में उन्होंने अपने मौसा नापाजी सांखला को पराजित किया, जो राजपूतों में पारिवारिक संबंधों और युद्ध की जटिलता को दर्शाता है।
27 वर्ष की आयु तक राव शेखा ने 360 गांवों पर अधिकार कर स्वतंत्र और सुदृढ़ शेखावाटी राज्य की स्थापना की, जबकि आमेर के वरिष्ठता को प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया। यह अध्ययन राव शेखा को एक पराक्रमी, रणनीतिक और दूरदर्शी शासक के रूप में प्रस्तुत करता है, जिनकी सैन्य सफलता और प्रशासनिक कुशलता ने पूर्वी राजस्थान की राजनीति को नया आकार दिया।