Vol. 9, Issue 10, Part B (2023)
किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्य निर्धारणः भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षिक संदर्भ में एक समीक्षा
किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्य निर्धारणः भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षिक संदर्भ में एक समीक्षा
Author(s)
वैशाली सिंह, डाॅ. रेणुु कंसल
Abstract
किशोरावस्था वह चरण है जिसमें आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्य निर्धारण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये छात्रों की प्रेरणा, जुड़ाव और शैक्षिक प्रदर्शन को आकार देते हैं। यह शोध पत्र भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षिक संदर्भ में आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्य निर्धारण के बीच संबंधों की समीक्षा करता है। आत्म-अवधारणा सिद्धांत और लक्ष्य निर्धारण सिद्धांत के आधार पर, यह अध्ययन उनके द्विदिशीय संबंधों को समझाने का प्रयास करता है, जिसमें दिखाया गया है कि सकारात्मक आत्म-अवधारणा कैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्रोत्साहित करती है और लक्ष्यों की प्राप्ति आत्म-अवधारणा को और मजबूत करती है। भारतीय संदर्भ में, जाति, धर्म, भाषाई विविधता और सामाजिक-आर्थिक असमानताएं छात्रों की आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्यों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। अध्ययन यह भी बताता है कि प्रदर्शन-उन्मुख लक्ष्यों पर अत्यधिक जोर छात्रों में तनाव और चिंता को बढ़ाता है, जबकि मास्टरी-उन्मुख लक्ष्य शैक्षिक लचीलापन, जिज्ञासा और आत्म-सुधार को प्रोत्साहित करते हैं। इस शोध पत्र का उद्देश्य शिक्षकों, माता-पिता और नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद करना है कि सकारात्मक आत्म-अवधारणा और प्रभावी लक्ष्य निर्धारण रणनीतियों को कैसे लागू किया जा सकता है ताकि भारतीय छात्रों के शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा दिया जा सके। यह शोध व्यापक विकास और दीर्घकालिक शैक्षणिक सफलता के लिए ठोस सुझाव प्रस्तुत करता है।
How to cite this article:
वैशाली सिंह, डाॅ. रेणुु कंसल. किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा और शैक्षिक लक्ष्य निर्धारणः भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षिक संदर्भ में एक समीक्षा. Int J Appl Res 2023;9(10):86-90. DOI:
10.22271/allresearch.2023.v9.i10b.12131