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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 9, Issue 2, Part C (2023)

‘मरीचिका’ उपन्यासक तात्विक विवेचन

‘मरीचिका’ उपन्यासक तात्विक विवेचन

Author(s)
प्रभाष कुमार
Abstract
‘मरीचिका’ लिली रेक द्वारा लिखल गेल, मैथिली साहित्यक सबसँ अधिक बृहदाकार उपन्यास अछि। जे दू भागमे मैथिली अकादेमी पटनासँ प्रकाशित भेल अछि, जकर प्रथम भाग पर 1982 ई॰ मे ‘साहित्य अकादेमी’ पुरस्कार सेहो भेटल छनि। एहिमे सामन्तवादी प्रथा आ राजघरानाकेँ चित्रित कए लेखिका ओकर एलबम तैयार कएलनि अछि। ई उपन्यास सामन्तवादी व्यवस्थाक गुण-दोषकेँ उद्घाटित करैत अछि, तेँ एकरा सामन्तवादी आ वर्ण व्यवस्थाक समालोचना ग्रन्थ सेहो कहल जाए सकैत अछि। ई निसंदेह मैथिली साहित्यक इतिहासमे एक गोट नव कीर्तिमान स्थापित कएलक अछि। चारि पीढ़ीक विस्तृत काल सीमा ओ परिसरमे पसरल एक हजारसँ अधिक पृष्ठक ई उपन्यास मैथिली साहित्य सर्वजनाक क्षेत्रमे स्वयं एक अविश्वसनीय ऐतिहासिक घटना थिक। मरीचिकाक अर्थ होइछ ‘मृगतृष्णा’ अर्थात् ‘भ्रम’। सामान्यतः रेगिस्तानमे दिनक समयमे दूरसँ लगैछ जे चारू कात पानिए पानि अछि मुदा वास्तवमे लग गेलासँ ओ बालूक पट-पट मैदान रहैत अछि। एहिमे मुख्य रूपसँ पिआसल मृग फँसि जाइत अछि जे ओहि ठाम जाए अपन पिपासा शान्त करब मुदा एहि मृगतृष्णामे ओ अपन प्राण तक त्यागि दैत अछि। प्रस्तुत उपन्यासक पहिल खण्डमे हीराक एहि प्रकारक मरीचिका देखाओल गेल अछि। एकटा राजघरानामे हीराक प्रवेश साधारण फूल तोड़ाक बेटीक रूपमे होइत अछि। ओहि परिवारमे हीरा दालिक हरदि जेना मिलि जाइत छथि। राजमाता आ रानीजीक परम विश्वस्त भऽ जाइछ। एतेक घरि जे सम्पूर्ण हवेलीक काजक दाईत्व आ तिजौड़ीक चाभी सेहो हिनके भेटि जाइत छैक। अपन समवयस्क राजाक बेटा नेना सरकार (राजा सरकार) सँ प्रेम करय लगैत छथि, जे आब तँ सब हमरे अछि हमही एहि घरक मलिकाइन बनब। मुदा विवाहक बेरमे फूल तोड़ाक बेटी होएबाक कारण ओकर विवाह बँसुरियासँ करा दैत छथि। इएह मरीचिका छल। जाहि घरमे ओ अपन तन-मनसँ सेवा करैत छल राजा सरकारक प्रेम संगिनी बनबाक लेल ओ तऽ बालुक टीला ज्ञात भेल।
उपन्यासक दोसर पक्ष अछि आर्थिक मरीचिका। राजा सरकार आ रानीजी जे अपन पतिष्ठा आ धनक घमण्डमे हीराकेँ तिरस्कृत करैत अछि अन्तमे अत्यन्त दयनीय स्थितिमे पहुँचि जाइत छथि। हुनक धन-सम्पत्ति, गहना-गुड़िया सब बिका जाइत अछि। हीरा अपन लगन, बुद्धि आ मेहनतिसँ आसामक शीलौंगमे तीन-तीनटा होटलक मालकीन बनि जाइत अछि आ अपन बेटाकेँ डाॅक्टरी पढ़ाबैत अछि कलकत्तामे। राजा सरकारक बेटी सेहो ओहि काॅलेजमे डाॅक्टरी पढ़ैत रहैत अछि। राजा सरकारक बेटी आ हीरका बेटाक बीच प्रेम-प्रसंग चलैत अछि आ अन्तमे विवाह होइत छैक। जाहिमे आर्थिक मरीचिका स्पष्ट परिलक्षित होइत अछि। तेँ एहि उपन्यासक नामकरण ‘मरीचिका’ सटीक भेल अछि। ई उपन्यास नायिका प्रधान अछि आ नायिका हीराक सशक्त चरित्रक वर्णन एहिमे अछि। एहि उपन्यासक नामकरण ‘मरीचिका’ सटीक भेल अछि। ई अपन्यास नायिका प्रधान अछि एहि उपन्यासक मध्य सभटा औपन्यासिक तत्वक निर्वाह भेल अछि आ अनेक विद्वानक श्रेष्ठ समालोचनाक कसौटी पर पूर्ण उतरल।
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How to cite this article:
प्रभाष कुमार. ‘मरीचिका’ उपन्यासक तात्विक विवेचन. Int J Appl Res 2023;9(2):161-164. DOI: 10.22271/allresearch.2023.v9.i2c.10586
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