Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

TCR (Google Scholar): 4.11, TCR (Crossref): 13, g-index: 90

Peer Reviewed Journal

Vol. 9, Issue 2, Part E (2023)

समकालीन कला में प्रयोगधर्मिता एवं कला बाजार

समकालीन कला में प्रयोगधर्मिता एवं कला बाजार

Author(s)
डॉ सविता प्रसाद
Abstract
रचनात्मकता मानव स्वभाव है। प्रत्येक व्यक्ति के क्रिया-कलापों में सृजनशीलता परिलक्षित होती है। बोलने, नृत्य, लेखन, संगीत, चित्रण, सृजन, समस्त क्रियाओं एवं विधाओं में कुछ न कुछ नये रूप, आकार, भाव अस्तित्व में दृष्टिगोचर होते हैं। आधुनिक समाज का आधुनिक कला को ओर अग्रसर होता प्रथम चरण है। युग परिवर्तित होता है। उसे साथ-साथ परम्परायें, शैलियाँ और भाषा सभी बदल जाते हैं। परन्तु आत्मा और हृदय का मूल स्वरूप कभी नहीं बदलता। कलाकार इसी मूलरूप की रूप योजना को विषय बनाकर चित्रित करता है, वह निश्चय ही स्थायी होता है। उसी मूलरूप से यदि युग की परम्पराये भावनायें, परिवर्तन तथा गतिविधियाँ सम्बन्धित हो तो कलाकृति का निखार द्विगुणित हो जाता है और यही कलाकार की सच्ची मौलिकता एवं रचनात्मकता है। कलाकार की कलाकृति में कुछ बिन्दु अवश्य होते हैं जो उसकी रचनात्मकता एवं आधुनिकता को पहचान देते हैं और उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं।
Pages: 366-367  |  64 Views  22 Downloads


International Journal of Applied Research
How to cite this article:
डॉ सविता प्रसाद. समकालीन कला में प्रयोगधर्मिता एवं कला बाजार. Int J Appl Res 2023;9(2):366-367.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals