Vol. 9, Issue 5, Part C (2023)
इस जिंदगी के उस पार: किनà¥à¤¨à¤° विमरà¥à¤¶ का आधार
इस जिंदगी के उस पार: किनà¥à¤¨à¤° विमरà¥à¤¶ का आधार
Author(s)
नेहा कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
समकालीन साहितà¥à¤¯ का फलक बहà¥à¤¤ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ है। यह साहितà¥à¤¯ अपने अंदर बहà¥à¤¤ सारे बदलावों को समेटे हà¥à¤ है। इस समय के साहितà¥à¤¯ के माधà¥à¤¯à¤® से लेखकों ने समाज के हाशिठपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वरà¥à¤— को अपने लेखनी के माधà¥à¤¯à¤® से दिखाने का काम किया है। हाशिठपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ समाज में अगर सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दंश किसी समाज विशेष को à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¾ पड़ता हैठतो वह किनà¥à¤¨à¤° समाज ही है। हमारा मानव समाज सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और पà¥à¤°à¥à¤· दो लिंगों पर आधारित समाज है। इस दà¥à¤µà¤¿à¤²à¤¿à¤‚गी समाज में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• तृतीय लिंगी समाज à¤à¥€ हैठजिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिजड़ाठखà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¾à¤ मंगलामà¥à¤–ीठकिनà¥à¤¨à¤° आदि नामो से पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ जाता है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम अपने समाज का अंग मानना नहीं मानते हैं। किनà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤‚ के साथ हम आम मनà¥à¤·à¥à¤¯ जानवरों से à¤à¥€ बदतर सलूक करते हैं। किनà¥à¤¨à¤° समाज जनà¥à¤® से ही अà¤à¤¿à¤¶à¤ªà¥à¤¤ जीवन जीने को विवश हैं। हारà¥à¤®à¥‹à¤¨ के असंतà¥à¤²à¤¨ के कारण इनके शरीर में कà¥à¤› कमियाठआ जाती हैठजो जीवनपरà¥à¤¯à¤‚त इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है। किनà¥à¤¨à¤° अपने आप को सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ही सनà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤Ÿ महसूस करते हैं। लैंगिक विकृति के कारण इनका शरीर इस लायक नहीं रहता है कि अपनी संतति को आगे बढ़ाà¤à¤à¥¤ इनमें à¤à¤• सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ महिला की तरह गरà¥à¤à¤¾à¤¶à¤¯ का अà¤à¤¾à¤µ पाया जाता हैठलेकिन महिलाओं में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बहà¥à¤¤ सारे गà¥à¤£ इनमें à¤à¥€ मौजूद होते हैं। इनमें à¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह ममताठकरà¥à¤£à¤¾ आदि गà¥à¤£ समाहित हैठलेकिन इनका दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¤¸à¤¾ होता है कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ थोड़ी सी à¤à¥€ इजà¥à¤œà¤¤ कà¤à¥€ नसीब नहीं होती है। आज बहà¥à¤¤ से माता.पिता à¤à¤¸à¥‡ हैं कि लड़कों के जनà¥à¤® के कारण लड़कियों को हानि पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में तनिक à¤à¥€ गà¥à¤°à¥‡à¤œ नहीं करते हैं। लड़के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के कारण लड़कियाठघर में ही मारी जा रही हैठलेकिन इन सबसे अलग अगर किनà¥à¤¨à¤° संतानोतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नहीं कर सकते हैंठतो कम से कम इस पाप के à¤à¤¾à¤—ी à¤à¥€ तो नहीं बनते हैं। बेटों की चाह में बेटियों का गला तो नहीं घोटते हैंठलेकिन चाहे इनमें कितनी à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न आ जाà¤à¤ लोगों का नजरिया इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¤à¥€ नहीं बदलता है। आज समय के साथ इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में थोड़ा बहà¥à¤¤ अंतर देखने को मिलता हैठलेकिन यह अंतर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कहा जा सकता।
How to cite this article:
नेहा कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. इस जिंदगी के उस पार: किनà¥à¤¨à¤° विमरà¥à¤¶ का आधार. Int J Appl Res 2023;9(5):150-155.