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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 10, Issue 1, Part A (2024)

'स्वेदजीवी' उपन्यासमे यथार्थक परिदृश्य

'स्वेदजीवी' उपन्यासमे यथार्थक परिदृश्य

Author(s)
रौशन कुमार, नारायण झा
Abstract
मैथिली साहित्यमे उपन्यासकारक रूपमे मधुकान्त झाक प्रवेश एकैशम शदीक प्रथम दशकमे होइत छनि। मौथिली हिनक जीविका मे नहि अपितु जीवन मे छनि, तेँ हिनक प्रयास प्रशंसनीय अछि। कोनो भाषा साहित्य मे उपन्यास लिखब केहेन दुष्कर अछि से सर्वविदित अछि। उपन्यास गद्य साहित्यक सभ सँ सशक्त विधा अछि। एहि विधा मे सभ सँ बेशी श्रम साध्य, समय साध्य आ व्यय-साध्य होइत अछि। श्री झा अपन पहिल उपन्यास कृति “स्वेदजीवी” लए केँ उपस्थित होइत छथि। उपन्यासकार अनुभूत जीवनक आधार पर पात्र एवं परिस्थितिक सहज स्वाभाविक चित्रण कयने छथि। उपन्यासकार सारभूत सत्यकेँ, जीवनक घटनाक ढाँचमे, भाव अनुभूति एवं आशाक रक्त मांससँ युक्त कए सजीव एवं साकार रूपमे प्रस्तुत कयने छथि। भावुकता एवं संवेदना उपन्यासकारक प्रेरक शक्ति बनि उभरल अछि। मैथिली साहित्यमे उपन्यासकारक रूपमे मधुकान्त झाक प्रवेश एकैशम शदीक प्रथम दशकमे होइत छनि। मौथिली हिनक जीविका मे नहि अपितु जीवन मे छनि, तेँ हिनक प्रयास प्रशंसनीय अछि। कोनो भाषा साहित्य मे उपन्यास लिखब केहेन दुष्कर अछि से सर्वविदित अछि। उपन्यास गद्य साहित्यक सभ सँ सशक्त विधा अछि। एहि विधा मे सभ सँ बेशी श्रम साध्य, समय साध्य आ व्यय-साध्य होइत अछि। श्री झा अपन पहिल उपन्यास कृति “स्वेदजीवी” लए केँ उपस्थित होइत छथि। दरिद्रता, विषमता आ अत्याचारसँ ग्रस्त भए बच्चा, जवान गामसँ पलायन करैत प्रदेश अबैत अछि अपन जीवनक महत्वपूर्ण समय प्रदेशक कल-कारखानमे पेटक गर्मी शांत करबाक लेल गमा लैत अछि। वैह प्रदेश विदाइमे सनेश दैत अछि विभिन्न रंगक रोग। आभावमे प्रारंभ भेल यात्रा अभावमे अंत भए खाक भऽ जाइत अछि। कारखानाक प्रबंधक कारखानाककलमधारी सेवक अछि ओ अपनाकेँ मजदूरसँ बहुत पैघ ज्ञानी आ काबिल बुझैत छैक। ओ पसीनासँ लथ-पथ, रक्तहीन आ अनपढ़ मजदूरक शोषण सभ दिनसँ करैत आयल अछि आ करैत अछि। कागजकेँ‌ स्याहीसँ कारी कयनिहार बाबू लोकनि ओहि किसान मजदूरक बराबरी नहि कए सकैत अछि जे अन्न एवं भोगक सामग्री उत्पादन कऽ मानवकेँ जीवन दैत अछि। उपन्यासकार अनुभूत जीवनक आधार पर पात्र एवं परिस्थितिक सहज स्वाभाविक चित्रण कयने छथि। उपन्यासकार सारभूत सत्यकेँ, जीवनक घटनाक ढाँचमे, भाव अनुभूति एवं आशाक रक्त मांससँ युक्त कए सजीव एवं साकार रूपमे प्रस्तुत कयने छथि। भावुकता एवं संवेदना उपन्यासकारक प्रेरक शक्ति बनि यथार्थ रूपमे अभिव्यक्त भेल अछि।
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How to cite this article:
रौशन कुमार, नारायण झा. 'स्वेदजीवी' उपन्यासमे यथार्थक परिदृश्य. Int J Appl Res 2024;10(1):57-61.
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