Vol. 10, Issue 11, Part A (2024)
कला का प्रभाव मानव जीवन पर
कला का प्रभाव मानव जीवन पर
Author(s)
Rubina Khan and Dr. Shalini Bharti
Abstractकला के कई रूप मानव जीवन में निहित है। भौतिक-अभौतिक रूप में,आध्यात्मिक व साहित्यिक रूप में, प्रदर्शन कला व दृश्य कला के यह रूप मानवता को सदा से ही प्रभावित करते रहे हैं। मानव एक सामाजिक प्राणी है, समाज पर मानव के कार्यों से नये बदलाव आते रहते है, तथा मानव पर स्वयं इन गतिविधियों का प्रतिकूल व अनुकूल प्रभाव देखा जा सकता है। कला के संदर्भ में यह गतिविधियां मुख्यतः बाल्यकाल से शुरू होकर जीवन के अंतिम चरण तक बनी रहती है।
आदिमानव मनुष्य के पूर्वज माने गए हैं। आदिमानव में अनुसरण करने की का गुण अधिक था। एक व्यक्ति जो कार्य करता दूसरा व्यक्ति भी उसी कार्य को बिना हिचकिचाए अनुसरण करता। आज की समय मे भी यह देखा जा सकता ही की फैशन चाहे कैसा भी हो शोभनीय या अशोभनीय युवा वर्ग उसका आँख बंद कर उसका अनुसरण कर लेती है। कला के इस प्रभाव से सभी जीवित प्राणी प्रभावित हुए है। कला का यही प्रभाव वयक्तित्व निर्माण, सामाजिक- समाजस्य्ता, वैचारिक भाव, मनोवैज्ञानिक रूप में देखा जाता रहा हैं। इसे गहराई से जानना और समझना बहुत ज़रूरी है। क्योकि यह सभी भविष्य को भी निर्धारित करती है। यहाँ मुख्य्तः कला की विभिन रूपो से उत्पन्न प्रभावों की विस्तृत चर्चा तथा नई सम्भावना खोजने का प्रयास किया गया है।