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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 10, Issue 11, Part B (2024)

खट्टर ककाक तरंगक प्रयोजनीयता

खट्टर ककाक तरंगक प्रयोजनीयता

Author(s)
राधा रमण झा, डाॅ. इन्दुधर झा
Abstract
हरिमोहन झा जाहि समाजक बीच अपन आँखि खोललनि ओ समाज सम्पूर्ण रूपसँ रूढ़िग्रस्त छल। शास्त्र जे आज्ञा करैत छल ओकर अनुपालन ओहि समाजक लोक आँखि मूनि अनुपालन करैत छल। धर्मान्धता चरम सीमा पर छल ब्राह्मण समाजक वर्चस्व रहैक ओ जे आदेश करैत छल ओकरा शास्त्रक आदेश मानल जाइत छलैक। पंडित लोकनि अपन वर्चस्व रखबाक लेल किंवा स्वार्थ पूर्तिक लेल विभिन्न ढोंगके जनम देलनि जादू-टोना, होम-जाप, पूजा-पाठ ओहि ढोंगी सभक शोषणक हथियार छल। हरिमोहन झा देखलनि समाज एहिसँ गर्तमे जा रहल अछि एकर प्रतिकार आवश्यक पंडित लोकनिक डर छलनि जे ओ सभ कुपित भऽ जएताह तऽ जनताकँ¢ हुनक विपक्षमे ठाढ़ कऽ देताह आ ते ँ ओ हास्यमे बोरल ओहि तमाम विसंगतिकँ¢ लोकक समक्ष अनलनि जाहिसँ सूतल समाज जागि सकए ओकर दृष्टि खूजि सकए ते ँ ओ खट्टर ककाक पात्र बना अपन तथ्यपूर्ण बात भातिजसँ कहए लगलाह।
Pages: 87-89  |  158 Views  60 Downloads


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How to cite this article:
राधा रमण झा, डाॅ. इन्दुधर झा. खट्टर ककाक तरंगक प्रयोजनीयता. Int J Appl Res 2024;10(11):87-89. DOI: 10.22271/allresearch.2024.v10.i11b.12123
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