Vol. 10, Issue 11, Part B (2024)
खट्टर ककाक तरंगक प्रयोजनीयता
खट्टर ककाक तरंगक प्रयोजनीयता
Author(s)
राधा रमण झा, डाॅ. इन्दुधर झा
Abstractहरिमोहन झा जाहि समाजक बीच अपन आँखि खोललनि ओ समाज सम्पूर्ण रूपसँ रूढ़िग्रस्त छल। शास्त्र जे आज्ञा करैत छल ओकर अनुपालन ओहि समाजक लोक आँखि मूनि अनुपालन करैत छल। धर्मान्धता चरम सीमा पर छल ब्राह्मण समाजक वर्चस्व रहैक ओ जे आदेश करैत छल ओकरा शास्त्रक आदेश मानल जाइत छलैक। पंडित लोकनि अपन वर्चस्व रखबाक लेल किंवा स्वार्थ पूर्तिक लेल विभिन्न ढोंगके जनम देलनि जादू-टोना, होम-जाप, पूजा-पाठ ओहि ढोंगी सभक शोषणक हथियार छल। हरिमोहन झा देखलनि समाज एहिसँ गर्तमे जा रहल अछि एकर प्रतिकार आवश्यक पंडित लोकनिक डर छलनि जे ओ सभ कुपित भऽ जएताह तऽ जनताकँ¢ हुनक विपक्षमे ठाढ़ कऽ देताह आ ते ँ ओ हास्यमे बोरल ओहि तमाम विसंगतिकँ¢ लोकक समक्ष अनलनि जाहिसँ सूतल समाज जागि सकए ओकर दृष्टि खूजि सकए ते ँ ओ खट्टर ककाक पात्र बना अपन तथ्यपूर्ण बात भातिजसँ कहए लगलाह।