संरक्षण की बाट जोहती सांस्कृतिक विरासत – “शेखावाटी के विशेष संदर्भ में”
Author(s)
अंतिमा शर्मा
Abstract
सांस्कृतिक विरासत वह है जो हमें हमारे पूर्वजों से प्राप्त हुई है और हमारे चारों ओर विद्यमान है । यह किसी भी क्षेत्र की विशिष्ट पहचान का आधार होती है, इसके दो प्रमुख प्रकार हैं मूर्त और अमूर्त । मूर्त सांस्कृतिक विरासत में पवित्र स्मारक जैसे – स्तूप, विहार, मंदिर, मस्जिद, चर्च, अभिलेख, सिक्के, दुर्ग, महल, हवेलियां, छतरियां, जल स्थापत्य जैसे अनेकों आयाम आते हैं, वही अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में भाषा, रीति रिवाज, धार्मिक – विश्वास, मेले, त्योहार, संगीत, नृत्य, खान पान, वेशभूषा, हस्तकलाएं इत्यादि आती है । भारत सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में विश्व के सबसे समृद्ध देशों में एक है, भारतीय संस्कृति जीवन जीने का संस्कार है वह पद्धति जो प्रकृति के साथ सामंजस्य से चलती है तथा संतुलित जीवन का आधार है । देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के उत्तर पूर्व में स्थित सांस्कृतिक विशिष्टता से भरा एक प्रमुख क्षेत्र जो चार प्रमुख जिलों सीकर, झुन्झुनू, नीमकाथाना व चुरू में विस्तारित है जिसे ‘शेखावाटी’ के नाम से जाना जाता है, जिसके विषय में इस शोध पत्र में हम जानकारी प्राप्त करेंगे कि किस प्रकार इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण विरासत स्थल व यहां की लोक परंपराएं समृद्ध हैं तथा संरक्षण के अभाव में निरंतर क्षीण होती जा रही हैं तथा इन असीम संभावनाओं के खजाने को किस प्रकार बेहतर तरीके से हम संजोकर रख सकते हैं इस पर जानकारी प्राप्त करेंगे ।
How to cite this article:
अंतिमा शर्मा. संरक्षण की बाट जोहती सांस्कृतिक विरासत – “शेखावाटी के विशेष संदर्भ में”. Int J Appl Res 2024;10(12):05-08.