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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 10, Issue 12, Part B (2024)

गरीबी का वैश्विक आयाम

गरीबी का वैश्विक आयाम

Author(s)
विजय कुमार
Abstract
आज विकासशील देशों में वैश्वीकरण का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में चर्चा का मुख्य मुद्दा है। वैश्वीकरण में प्रतियोगिता, दक्षता, बेहतर उत्पादकता एवं प्रौद्योगिक तरक्की के जरिये प्रगति की भी अपार सम्भावनाएं हैं, किन्तु, अभी तक वैश्वीकरण का विश्व के विभिन्न क्षेत्रों पर असमान प्रभाव हुआ है और इससे विषमता गहराई है तथा निम्न आय वर्ग एवं विकासशील क्षेत्र हाशिये पर चले गए हैं। समाज के कमजोर वर्गों में चिन्ता उत्पन्न हुई है क्योंकि, इससे राज्य जनहित कार्यों के दायित्वों से पीछे हट रही है तथा श्रमिकों और उद्यमियों की मजदूरी, दाम, कार्यदशा एवं सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के संदर्भ में क्षमता में गिरावट आई है, अंततः आज वैश्वीकरण के कारण लाभान्वित हुए लोगों की तुलना में नुकसान के शिकार लोगों की संख्या अधिक है। आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप अमीर और अधिक अमीर हो रहा है, जबकि, गरीब और अधिक गरीब के रहा है तथा यह आय-वितरण को प्रभावित कर रहा है। समर्थकों के अनुसार वैश्वीकरण सम्पूर्ण विश्व तथा मानव जाति के लिए एक नई आशा की किरण तथा सम्भावनाओं को उपस्थित किया गया है।
Pages: 76-78  |  86 Views  46 Downloads


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How to cite this article:
विजय कुमार. गरीबी का वैश्विक आयाम. Int J Appl Res 2024;10(12):76-78.
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